नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) रविवार को विज्ञान भवन में ‘डिपॉजिटर्स फर्स्ट: गारंटीड टाइम-बाउंड डिपॉजिट इंश्योरेंस पेमेंट अप टू 5 लाख रुपये’ (Depositors First: Guaranteed Time-bound Deposit Insurance Payment up to Rs 5 Lakh) प्रोग्राम को संबोधित करेंगे. यह कार्यक्रम दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे से होगा. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने शनिवार को यह जानकारी दी.
पीएमओ ने कहा कि डिपॉजिट इंश्योरेंस (Deposit Insurance) के तहत कॉमर्शियल बैंकों में सभी तरह के अकाउंट्स मसलन सेविंग, फिक्स्ड, करंट और रेकरिंग आते हैं. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत राज्य, केंद्रीय और प्राथमिक कोऑपरेटिव बैंकों में डिपॉजिट को भी यह कवर करता है.
बैंक में जमा आपके पैसों पर मिलता है 5 लाख का इंश्योरेंस
एक बड़े सुधार के तहत सरकार ने बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है. डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा को प्रति डिपॉजिटर्स प्रति बैंक 5 लाख रुपये तक बढ़ाने के बाद पिछले वित्त वर्ष के अंत तक पूर्ण रूप से प्रोटेक्टेड अकाउंट की संख्या 98.1 फीसदी पर पहुंच गई है. यह 80 फीसदी के इंटरनेशनल बेंचमार्क से कहीं ज्यादा है.
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी डीआईसीजीसी (DICGC) ने अंतरिम भुगतान की पहली किस्त हाल में जारी की है. यह राशि 16 शहरी कोऑपरेटिव बैंकों के जमाकर्ताओं को जारी की गई है. इन शहरी कोऑपरेटिव बैंकों पर रिजर्व बैंक ने अंकुश लगाए हैं. एक बयान में कहा गया है कि करीब एक लाख डिपॉजिटर्स के वैकल्पिक बैंक अकाउंट्स में 1,300 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है.
क्या है DICGC
बैंकों में 5 लाख रुपये तक की जमा सुरक्षित होने की गारंटी डीआईसीजीसी की ओर से होती है. डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है, जो बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराती है.
डिपॉजिट इंश्योरेंस कैसे काम करता है?
डीआईसीजीसी के गाइडलाइंस के मुताबिक, बैंक के लाइसेंस रद्द की तारीख या मर्जर या पुनर्निर्माण के दिन बैंक में प्रत्येक डिपॉजिटर्स को उसके पास मूलधन और ब्याज की राशि के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये तक का बीमा किया जाता है. इसका मतलब यह है कि एक ही बैंक में आपके सभी अकाउंट्स को मिलाकर कितना ही पैसा जमा क्यों न हो, आपको केवल 5 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर मिलेगा. इस राशि में मूलधन और ब्याज की राशि दोनों शामिल हैं. बैंक के विफल होने पर अगर आपकी मूल राशि 5 लाख रुपये है, तो आपको केवल यह राशि वापस मिलेगी और ब्याज नहीं.
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