SKM को मिली सरकार की औपचारिक चिट्ठी, किसानों की बैठक जारी; सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने तंबू उखाड़ने शुरू किए…

09 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गई है और किसान आंदोलन (Farmer Protest) ख़त्म होने की औपचारिक घोषणा होना बाकी रह गया है. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर किसान न सिर्फ मिठाई बांटकर जश्न मन रहे हैं बल्कि उन्होंने अपने तंबू उखाड़ने और सामान की पैकिंग भी शुरू कर दी है. उधर संयुक्त मोर्चा के सूत्रों ने बताया कि बॉर्डर खाली करने में दो दिन का समय लगेगा. इसके अलावा किसानों का प्रदर्शन अन्य रूपों में जारी रहेगा. जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती, या लिखित में नहीं मिलता, राज्यों में प्रदर्शन होंगे.

किसान नेता अशोक धवले का कहना है कि कृषि मंत्रालय की तरफ से गुरुवार सुबह एक हस्ताक्षरित पत्र संयुक्त किसान मोर्चे को मिला है. आज यह पत्र संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में रखा जाएगा और जो भी निर्णय होगा उस पर चर्चा होगी. अशोक धवले का कहना है कि बहुत सारी मांगे मान ली गई हैं, हर आंदोलन में सारी बातें नहीं मानी जाती हैं. जो भी मुकदमे हैं, वह वापस होने चाहिए और लाल किला और 26 जनवरी के मामलों पर भी विचार किया जाएगा.

बुधवार को SKM ने घोषणा की थी कि कृषि कानून वापसी के बाद किसानों की अन्य मांगों पर केंद्र सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, उसे किसान संगठनों ने मान लिया है. अब किसान नेता राकेश टिकैत के तेवर भी कुछ नरम नजर आ रहे हैं. राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि बात बनती दिखाई पड़ रही है. लगता है कि आज मामला ठीक हो जाएगा. हालांकि, टिकैत ने कहा था कि  सरकार ने कच्चे कागज में प्रस्ताव दिया है, हमें पक्के दस्तावेज चाहिए. राकेश टिकैत ने कहा, जो भी प्रस्ताव सरकार की तरफ से आया है, बस हमारी मांग यह है कि उन्हें लिखित तौर पर दे दिया जाए. अभी कागज कच्चे में कह दिया है कि दे दिया. लेकिन जब तक सरकार के स्टांप के साथ लिख करके नहीं आता, तब तक हम नहीं मानेंगे.

हमें पक्के दस्तावेज चाहिए- टिकैत

टिकैत ने कहा, “पांच सदस्यों की कमेटी की जिनसे भी बात हो रही हो, लेकिन हमें पक्के दस्तावेज चाहिए. हमारी कोई समय सीमा नहीं है. बस हमें कागज चाहिए और 12 बजे हमारी मीटिंग है और अगर तब तक कागज मिल गया तो हम उसके आधार पर कार्रवाई करेंगे. हम किसानों को सारी चीजें बताएंगे कि उन्हें आगे का क्या कुछ करना है. जब एक एक आदमी पहले घर पहुंच जाएगा तभी गाजीपुर से मोर्चा हटेगा. यह हमारा निगरानी पॉइंट है इसलिए मुजफ्फरनगर जाने में कम से कम तीन से चार दिन और लगेंगे. टिकैत ने कहा, जब हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड का किसान अपने घर नहीं पहुंच जाता, तब तक वे घर नहीं जाएंगे. टिकैत ने कहा, हम आखिरी तक यहीं पर टिके रहेंगे.

सरकार की चिट्ठी पर ही अटका था मामला

बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए रिवाइज ड्राफ्ट पर किसानों ने भी सहमति दे दी है जिसके बाद माना जा रहा है कि गुरुवार को सरकार की तरफ से आधिकारिक पत्र मिलते ही 14 महीनों से जारी किसान आंदोलन ख़त्म करने का ऐलान किया जा सकता है. किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार की तरफ से जो ड्राफ्ट आया था, उस पर हमारी सहमति नहीं बनी थी. हमने उसमें कुछ सुधारों की मांग कर लौटा दिया था.

सरकार दो कदम और आगे बढ़ी है. आज जो ड्राफ्ट आया है, उसको लेकर हमारी सहमति बन गई है. अब सरकार उस ड्राफ्ट पर हमें अधिकारिक चिट्‌ठी भेजे. इसी पर सबकी सहमति है. उधर हरियाणा सरकार ने भी किसानों को मुआवजे के तौर पर 5 लाख की मदद और केस वापस लेने की सहमति दे दी है. केंद्र सरकार ने भी सभी केस वापस लेने पर सहमति दे दी है. केंद्र ने MSP कमेटी में सिर्फ मोर्चे के नेताओं को रखने की बात भी मान ली है. दिल्ली बॉर्डर पर 377 दिन से किसान आंदोलन चल रहा है.

क्या है नया प्रस्ताव?

1. MSP कमेटी में केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे. कमेटी 3 महीने के भीतर रिपोर्ट देगी। जो किसानों को MSP किस तरह मिले, यह सुनिश्चित करेगी. वर्तमान में जो राज्य जिस फसल पर MSP पर जितनी खरीद कर रही है, वह जारी रहेगी.
2. सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे. UP, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी है.
3. केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे. राज्यों को केंद्र सरकार भी अपील करेगी.
4. हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पंजाब की तरह मुआवजा देने पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.
5. बिजली बिल पर किसानों पर असर डालने वाले प्रावधानों पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी. उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा.
6. पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार के कानून की धारा 15 में जुर्माने के प्रावधान से किसान मुक्त होंगे.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]