पश्चिम बंगाल में जवाद चक्रवाती तूफान के कारण हुई भारी बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दी है. मेदिनीपुर आलू की खेती में नुकसान के डर से एक किसान के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है. वह मेदिनीपुर के चंद्रकोना के रहने वाला था. जवाद चक्रवाती तूफान के कारण हुई बारिश से खेतों में पानी भर गया है. परिवार ने दावा किया कि चंद्रकोना थाने की कन्यापुर ग्राम पंचायत के धन्याझाटी के भोलानाथ बायन बारिश को लेकर चिंतित थे. आलू की खेती में नुकसान के डर से उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला किया.
भोलानाथ बायन एक बीघा जमीन पर आलू की खेती करता था. उसने करीब 25 हजार रुपये के कर्ज से उस पर खेती की थी. ग्रामीणों के अनुसार दिसंबर की शुरुआत में भारी बारिश के कारण फसल के भारी नुकसान की आशंका से भोलानाथ अचानक डर गया था. आरोप है कि इससे परिवार में भी अशांति शुरू हो गई और भोलानाथ ने आत्महत्या कर ली.
सोमवार की रात को पत्नी से हुई थी कहासुनी
आरोप है कि सोमवार की शाम पति-पत्नी में कहासुनी हो गई. तब भोलानाथ बायन ने घर में जहर खा लिया. परिजन उसे तत्काल इलाज के लिए चंद्रकोना ग्रामीण अस्पताल ले गए. फिर भी नहीं बचा सके. मंगलवार सुबह आलू किसान की मौत हो गई. चंद्रकोना थाने की पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. भोलानाथ के एक पड़ोसी ने कहा, “भोलानाथ ने जमीन में आलू लगाए थे. इस बीच बारिश में उसकी जमीन में पानी जमा हो गया है. यही वजह है घर में पत्नी से झगड़ा हुआ. फिर उसने जहर खा लिया. दरअसल इसी खेती पर उनका परिवार चलता है. जमीन बहुत कम है. उसका कोई बेटा नहीं है. चार लड़कियां हैं. उन सभी की शादी हो चुकी है. घर पर पति-पत्नी रहते थे.”
खेतों में भरा है पानी, फसल का हुआ है भारी नुकसान
मेदिनीपुर का घाटल अनुमंडल प्रमुख कृषि क्षेत्र है. यहां की उपजाऊ भूमि में धान, आलू और सब्जियों की खेती होती है. भारी बारिश ने घाटल के किसानों को परेशान कर दिया है. पके धान, सरसों, आलू और सब्जियां डूब कर बर्बाद हो रहे हैं. खेत सरसों, आलू, सब्जियों, पके धान से भरा है. सरसों, आलू, पके धान के खेत पानी में डूबे हुए हैं. मायूस किसान जमीन से पानी निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. किसान पके धान को पानी से ऊंचे स्थानों पर लाने में लगे हैं. आपदा खत्म नहीं होने से किसान आर्थिक नुकसान से परेशान हैं.
दक्षिण 24 परगना के इलाकों की भी है एक ही तस्वीर
दक्षिण 24 परगना के सुंदरबन के किसानों को भी कम दबाव की बारिश से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. पके अमन धान की कटाई शुरू होते ही लगातार बारिश से धान के खेत में पानी आना बंद हो गया है. किसानों को डर है कि पका धान पानी में बर्बाद होकर सड़ जाएगा. कैनिंग, बसंती, गोसाबा, कुलतली, जोयनगर सभी एक ही तस्वीर है. किसानों ने कहा कि पानी में डूबे धान को काटने और घर ले जाने के उनके बार-बार के हताश प्रयासों से फसलों को काफी नुकसान हुआ है.
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