भारत को जिसका डर था, आखिर वही चीज हो गई है. कोरोनावायरस (Coronavirus) के नए ओमीक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) ने भारत में भी दस्तक दे दी है. लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जिन दो लोगों में यह पाया गया है उसमें एक व्यक्ति की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग से यह पता लग पाया कि वह ओमीक्रॉन से संक्रमित था. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी फाइनेंस डॉक्टर अनिल गोयल ने TV9 भारतवर्ष से बातचीत में बताया कि सरकार को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वह जिनोम सीक्वेंसिंग करे. इससे कि इस वायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई जा सके.
अनिल गोयल ने कहा, यदि समय रहते जीनोम सीक्वेंसिंग की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग की रफ्तार काफी कम हो गई है. इस साल जून से अगस्त के बीच ही 50 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है. देश भर में सीक्वेंसिंग के लिए 288 जगहों की पहचान की गई, लेकिन इनमें से ज्यादातर राज्यों से पर्याप्त सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए नहीं आ रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जनवरी में 2207, फरवरी में 1321, मार्च में 7806, अप्रैल में 5713, मई में 10488, जून में 12257, जुलाई में 6990 और अगस्त में 6458 सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई. लेकिन इसी साल सितंबर में 2100 और उसके बाद अक्टूबर में करीब 450 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए पहुंचे हैं.
कई राज्यों ने सैंपल नहीं भेजा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नियम के मुताबिक कुल संक्रमित मरीजों का कम से कम पांच प्रतिशत केस का जीनोम सीक्वेंस होना चाहिए. लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो पा रहा है. राज्य सरकारों को इस साल ऐसी दिशानिर्देश जारी किया गया था कि जीनोम सीक्वेंस के लिए संक्रमित जगहों से 30 सैंपल भेजा जाए. लेकिन राज्यों की ओर से भी अगस्त महीने के बाद से इस दिशा में लापरवाही बरती गयी है. जानकारी के अनुसार भारत में 19 राज्यों ने तय लक्ष्य के अनुसार सैंपल नहीं भेजे.
कितना समय लगता है जीनोम सीक्वेंस में
विशेषज्ञों की राय में एक बार जीनोम सीक्वेंस करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है. यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है. इसलिए किसी खास जगह पर जहां बहुत संक्रमण हो वहां से पांच फीसदी के आसपास सैंपल इकट्ठा किया जाता है.
क्या होता है जीनोम सीक्वेंस
शरीर में कोशिकाओं के अंदर के जेनेटिक मटेरियल को जीनोम कहा जाता है. कोशिका के भीतर एक जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसकी दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है. इससे जीनोम में होने वाले बदलाव के बारे में पता चलता है. यह बदलाव पुराने वायरस से कितना अलग है यह भी बतलाता है.
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