Electricity Amendment Bill 2021: अगर कानून बना तो आपका क्या बिगड़ेगा, जानिए बिजली से जुड़े इस बिल की 3 खास बातें

Electricity Amendment Bill 2021-आने वाले चुनावों में अगर आपके नेता बिजली का बिल माफ या सस्ती बिजली से जुड़े वादे करते ना दिखें तो चौंकिएगा मत, क्योंकि इसकी वजह बिजली संशोधन विधेयक की जड़ में छुपी है, जो इसी विंटर सेशन में सरकार लाने वाली है. इस कानून के अमल में आने के बाद सरकारें अब बिजली कंपनियों को सब्सिडी नहीं दे सकेंगी. अब ये सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं यानी जनता के खाते में डाली जाएगी. आइए अब इसके बारे में जानते हैं.

सीधा सा मतलब ये है कि आपको बिजली का पूरा बिल चुकाना होगा. इसके बाद सरकार, आपके खाते में सब्सिडी का पैसा डालेगी. आप सोच रहे होंगे कि हम तो बिल पूरा भरते हैं, फिर किस बात की सब्सिडी?

दरअसल होता ये है कि ग्राहकों से जो बिल लिया जाता है, उससे ज्यादा का खर्च है बिजली कंपनियों का. यानी बिजली कंपनियां नुकसान सहकर भी आपको सस्ती बिजली देती हैं. लेकिन इस नुकसान की भरपाई होती है सरकारी सब्सिडी से.

Electricity Amendment Bill 2021 की तीन जरूरी बातें

(1) राज्य सरकारें बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी देती हैं. इसके बाद कंपनियां बिजली के रेट तय करती हैं. अब अगर सरकार ये सब्सिडी रोक दे तो क्या होगा? होगा ये कि बिजली के दामों पर असर पड़ेगा.

(2) आपके घर तक बिजली पहुंचाने वाली कंपनियों का दावा है कि वो भारी भरकम घाटे में हैं. पीआईबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में डिस्कॉम को कुल 90,000 करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है.

(3) सरकार की ओर से सब्सिडी लेट होती है. तो इसका भी बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों पर असर पड़ता है. अब अगर नई व्यवस्था लागू होती है तो कंपनियां दाम बढ़ा सकती हैं. हालांकि इसका पूरा असर आपकी जेब पर होगा. सरकार इसकी भरपाई सीधे आपके खाते में सब्सिडी देकर करेगी. सरकार के इस विधेयक का किसान पुरजोर विरोध कर रहे हैं. किसान संगठनों का मानना है कि इससे उन पर काफी असर पड़ेगा.अब देखना ये होगा कि इस सत्र में सरकार इस विधेयक को पास करा पाएगी या ये बिल संसद में जारी हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा.

(4) नए कानून के साथ कुछ चुनौतियां भी है. कनेक्शन मकान मालिक, जमीन, दुकान के मालिक के नाम पर होता है. किराएदार के मामले में सब्सिडी किसे मिलेगी, यह साफ नहीं है.बिजली की खपत के हिसाब से सब्सिडी तय होगी. इसलिए 100% मीटरिंग जरूरी है. कई राज्यों में बिना मीटर बिजली दी जा रही है. महाराष्ट्र में 15 लाख कृषि उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्हें बिना मीटर बिजली मिल रही है. ये कुल कृषि उपभोक्ताओं के 37% हैं.सब्सिडी ट्रांसफर में देरी हुई तो उपभोक्ता परेशान होगा. ‘पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च’ के अनुसार, कृषि उपभोक्ता का महीने का एवरेज बिल 5 हजार रुपये तक हो सकता है. जिन्हें अभी फ्री बिजली मिल रही है, उनके लिए यह रकम बहुत भारी पड़ेगी.

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