कंप्यूटर और कार के दीवाने हैं ट्विटर के नए CEO, दोस्‍तों को पता था पराग अग्रवाल हैं सबसे अलग

नई दिल्‍ली. जैसे ही ट्विटर (Twitter) के नए CEO की घोषणा हुई और यह पता चला कि वह भारतीय (Indian) हैं. उसके बाद से गूगल (Google) में सिर्फ एक ही बात खोजी जा रही थी, Parag Agarwal. उनकी आईआईटी में क्या रैंक थी (77), सीईओ बनने के बाद उनकी तनख्वाह क्या होगी (10 लाख डॉलर), उनकी पत्नी का नाम क्या है (विनीता). यह वह जानकारी है जो गूगल में मौजूद है, लेकिन उनके आईआईटी के साथियों के पास ट्विटर के नए सीईओ के बारे में बताने को बहुत कुछ है. आईआईटी बॉम्बे में प्रवेश करने के बाद उन्होंने फ्रेशटेक से अपनी पहचान बनाई. यह सभी फ्रेशर के लिए एक खुली चुनौती होती है. जब यह चुनौती रखी गई तो केवल 25 फीसद फ्रेशर्स ने ही इस चुनौती को स्वीकार किया.

उनके साथी बताते हैं कि हमारे जैसे साधारण लोग तो उसका एक सवाल भी हल नहीं कर सकते हैं, लेकिन जब परिणाम सामने आया तो पराग दूसरे नंबर पर था. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक डेक्सटर कैपिटल के संस्थापक कहते हैं कि उन्होंने पराग को हमेशा शांत, दोस्ताना और प्रतिभाशाली ही पाया. उनके हॉस्टल के साथी अपनी यादों को साझा करते हुए बताते हैं कि आईआईटी बी का पहला साल बड़ा ही दिलचस्प होता है. सभी लोग कॉलेज में अपने पैर जमाने में लगे रहते हैं. आईआईटी में पहुंचा हर बच्चा अपने घर, मोहल्ले, कॉलेज, स्कूल, कोचिंग क्लास का हीरो होता है. लेकिन पराग ने पहले साल 10/10 लाकर साबित कर दिया था कि वह हम सभी में सबसे ज्यादा स्मार्ट है.

उनके साथी राम कक्कड़ उन्हें एक विचारक बताते हुए कहते हैं कि वह बहुत मददगार और अपने विचारों में स्पष्ट हैं. एक बार वह उन्हें 2016 में न्यूयॉर्क की गलियों पर अचानक मिल गए, हम दोनों ने साथ में मिलकर खाना खाया और मैंने उन्हें अपने स्टार्ट अप के बारे में बताया और उन्होंने ट्विटर के बारे में बात की थी. उनके शिक्षक कहते हैं कि उनकी समस्या को सुलझाने की और सोचने की काबिलियत कक्षा में सबसे ऊपर थी. कक्षा 12 में उनके अंक सबसे ज्यादा थे और अंतरराष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया था. पराग के पिता राम गोपाल वर्मा (72) जो 2011 में बार्क की रिफ्यूलिंग टेक्नोलॉजी विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं, बताते हैं कि गणित में पराग बचपन से ही तेज था.

कंप्यूटर और कार ही उसे हमेशा से पसंद रही हैं. हम लोग जब भी कहीं बाहर जाते थे वो इन्हीं से जुड़ी पत्रिकाएं खरीदता था. पराग की मां शशि (67) इकोनॉमिक्स और मैनेजमेंट की प्रोफेसर थीं और उनकी बहन वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में शिक्षक हैं. पराग के माता-पिता वर्तमान में ठाणे में रहते हैं. पराग की मां कहती हैं कि जब उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से स्नातक किया तो उन्हें नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने आगे पढ़ाई करने का फैसला लिया, उन्होंने 6 यूनिवर्सिटी में अर्जी डाली जिसमें से पांच में उनका चयन हुआ था. अंत में उन्होंने स्टैनफोर्ड से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी का फैसला लिया.