कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ने दुनियाभर में संकट पैदा कर दिया है. कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है, जिसके बाद कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इस वेरिएंट को लेकर अलग अलग तरह की खबरें आ रही हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि ये वेरिएंट पहले से खतरनाक है. साथ ही कई लोगों को कहना है कि यह वेरिएंट कोरोना की अगली लहर का कारण बन सकता है.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर ओमिक्रोन कितना खतरनाक हो सकता है और किस तरह से यह नई लहर का कारण बन सकता है. साथ ही में जानते हैं कि इस पर डॉक्टर्स का क्या कहना है…
ओमिक्रोन बनेगा नई लहर का कारण?
डॉक्टर के श्रीनाथ रेड्डी ने आकाशवाणी समाचार को बताया है, ‘ज्यादातर संक्रमण हो सकता है लेकिन घातक शायद नहीं. ये जो स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन आ गए हैं, जिससे वायरस का रुपांतर हुआ है, उस कारण से वायरस की संक्रामक शक्ति जरूर बढ़ जाती है. हो सकता है कि कुछ किस्म की वैक्सीन से जितनी हमें सुरक्षा मिलती थी उतनी मिल नहीं पाएगी लेकिन कुछ तो रक्षा मिलेगी, लेकिन बीमारी के लक्षण क्या बदल जाएंगे और घातक बन जाएगा या बीमारी हल्की बन जाएगी इसका कहना अभी मुश्किल है.’
डॉक्टर ने बताया, ‘फिलहाल साउथ अफ्रीका से जो समाचार आ रहे हैं, जिन व्यक्तियों को अभी तक यह संक्रमण हुआ है उनको बहुत हल्की सी बीमारी हुई है, कोई घातक बीमारी नहीं हुई है. ज्यादातर लोग अस्पताल जाने की आवश्यकता भी महसूस नहीं कर रहे. हो सकता है कि यह वायरस के स्वभाव में इस प्रकार का परिवर्तन हो रहा है कि संक्रामक शक्ति बढ़ रही है, लेकिन घातक शक्ति घट रही है.
क्यों ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है?
सफदरजंग अस्पताल की डॉक्टर रुपाली मलिक ने बताया, ‘ यह कोरोना का नया वेरिएंट है, जो वेरिएंट ऑफ कन्सर्न है. वेरिएंट ऑफ कंसर्न उन्हें बोलते हैं, जिसमें ट्रांसमिसिबिलिटी की क्षमता काफी अधिक होती है. यानी संक्रमण को बाकी लोगों तक पहुंचाने की क्षमता नॉर्मल कोरोना के मुकाबले कहीं अधिक होती है. आर्नोट यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति से कितने लोगों को संक्रमण होगा. पुराने कोरोना वायरस में 1.92 के आसपास ही आर्नोट थी.
डॉक्टर का कहना है, ‘इस हिसाब से अगर देखा जाए तो यह उतना ज्यादा प्रभावशाली नहीं है. लेकिन फिर भी लोग कह रहे हैं कि ओमिक्रॉन नामक इस नए वायरस में 50 म्यूटेशंस हैं. साउथ अफ्रीका में वेरिएंट ऑफ कंसर्न आया था बीटा बेरिएंट, लेकिन वह भारत तक नहीं पहुंचा. मुश्किल से 100 केस ही भारत में पाए गए थ. तो इस बार भी हम उम्मीदर करते हैं कि इस बार नया वेरिएंट हमारे देश तक न पहुंचे. इसके साथ ही हमें सावधानी हमेशा बरतनी होगी. वेरिएंट आते रहेंगे और जाते रहेंगे. जो प्रिकॉशंस है वो वहीं हैं, जो हम नॉर्मल वायरस के लिए लेते हैं या किसी वेरिएंट के लिए लेते हैं.
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