भारत में गोल्ड पर निवेश करना सबसे सुरक्षित और बेहतर माना जाता है. हर त्योहार में और शादी ब्याह में गोल्ड की खरीददारी जरूर होती है. दरअसल लोग अपनी पाई-पाई की कमाई जोड़कर गोल्ड की खरीददारी करते हैं. लेकिन आज भी गोल्ड खरीदते समय उसकी प्योरिटी को लेकर कई चिंताएं रहती है. सोना प्योर तो है, कहीं उसमें कोई मिलावट तो नहीं है, क्योंकि ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं जिसमें ज्वेलर मिलावट वाला सोना लोगों को पकड़ा देता है और पैसे पूरे ले लिए जाते है.
पिछले कुछ सालों में एक शब्द जो ज्वेलरी की प्योरिटी के लिए काफी इस्तेमाल किया जाता रहा है, वो हॉलमार्क है. जिसको सरकार ने अनिवार्य करने का फैसला लिया है. ताकि, आम जनता को इसका फायदा मिले और ऐसे मामलों को रोका जा सके. 1 दिसंबर यानी कल से आपके सोने के गहनों से जुड़ा एक ऐसा नियम लागू होने वाला है, जिसको अगर ज्वेलर ने नहीं माना तो जेल हो सकती है.
कल से हॉलमार्किंग नियमों का सख्ती से पालन
ज्वेलर्स को 30 नवंबर तक जो राहत दी गई थी, उसकी डेडलाइन आज खत्म हो जाएगी, यानी की अब हॉलमार्किंग नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है, ऐसा ना करने पर ज्वेलर पर सख्त से सख्त कार्रवाई भी हो सकती है. बता दें, देशभर के 256 जिलों में हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत जिन ज्वेलर्स का टर्नओवर 40 लाख से ज्यादा है या फिर वो रजिस्टर्ड है, तो उनकी दुकान में हर ज्वेलरी पर हॉलमार्क होना आवश्यक है. इसके अलावा बिक्री किए जाने वाले सभी गहने पर भी हॉलमार्किंग अनिवार्य है.
ज्वेलर्स के लिए गाइडलाइंस
वहीं ज्वेलर्स के लिए कुछ गाइडलाइन भी बनाई गई है, जिसमें सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि, उनकी दुकान के बाहर एक डिस्प्ले बोर्ड भी लगा हो, जिसमें यह लिखा जाए कि इस दुकान पर हॉलमार्क की ज्वेलरी मिलती है, इसके अलावा ग्राहकों को हॉलमार्क दिखाने के लिए 10x का ग्लास और हॉलमार्किंग चार्जेस के बारे में लिखित रूप से दुकान के अंदर ही जानकारी देने के लिए एक चार्ट बनाना अनिवार्य है. साथ ही, हर दुकान के अंदर बीआईएस का नंबर और एड्रेस का एक डिस्प्ले होना जरूरी है.
हॉलमार्किंग की भी होगी जांच
इसके साथ ही, बीआईएस की तरफ से नियुक्त किए गए कुछ एजेंट्स दुकान में जाकर भी हॉलमार्किंग की जांच करेंगे, कि ज्वेलरी में हॉलमार्किंग ठीक से किया गया है कि नहीं. इसके लिए दुकानों से सैंपल उठाए जाते हैं. कल से हॉलमार्किंग को लागू नहीं करने पर कार्रवाई भी होगी. बता दें, पहले भी इसको लेकर लगातार जांच की जा रही थी, लेकिन अब इसे अनिवार्य ही कर दिया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने को कहा गया था, उस दौरान 780 सेंटर्स थे, लेकिन अबतक सिर्फ साढ़े आठ सौ सेंटर्स ही हो पाए हैं. ऐसे में सरकार से कहा गया है कि, हर डिस्ट्रिक्ट में कम से कम एक सेंटर होगा, तो वहीं अनिवार्य करना चाहिए. लेकिन बिजनेस कम होने के चलते कई सेंटर्स बंद हो गए हैं.
क्या है हॉलमार्किंग?
हॉलमार्क गोल्ड की प्योरिटी का पैमाना होता है. इसके तहत हर सोने की ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो अपने मार्क से प्योरिटी की गारंटी देता है. लेकिन केंद्र ने साफतौर पर कहा है कि, हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद देश में सिर्फ 14,18 और 22 कैरेट सोने की ज्वेलरी ही बिकेगी.
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