30 नवंबर (वेदांत समाचार)। राज्यसभा में 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने दिल्ली में बैठक की. इस बैठक में राहुल गांधी समेत कुल 16 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए. बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि अगर राज्यसभा में 12 सांसदों का निलंबन वापस नहीं लिया जाता है तो सभी विपक्षी पार्टियां सदन के सत्र का बहिष्कार करेंगी. विपक्ष पूरे सत्र का भी बहिष्कार कर सकता है. इधर, संसद के राज्यसभा में माफी मांगने की बात को नकारते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने निलंबन को रद्द करने का अनुरोध किया जिसे राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया.
विपक्षी की बैठक राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर पर हुई. इस बैठक में कांग्रेस के अलावा कई और दलों के नेता भी शरीक हुए. निलंबन मामले पर विपक्षी दल राज्य सभा के सभापति वैंकैया नायडू से मिलने पहुंचे. बता दें बैठक में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मौजूद रहे. वहीं इस मीटिंग में भाग लेने के लिए प्रैयंका चतुर्वेदी को कमरे में जाने से रोका गया. आशंका जताई जा रही है कि विपक्ष नेता शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में पूरे सत्र का बहिष्कार करने का ऐलान करेंगे.
विपक्षी दलों ने बैठक के दौरान कहा, सांसदों का निलंबन वापस नहीं होता है तो आज राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार विपक्ष तो करेगा ही आगे भी बहिष्कार करने की रणनीति बनाया है.वहीं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, कल भी हमने उनसे कहा कि आप लोग माफी मांग लीजिए, खेद व्यक्त कीजिए. लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया, साफ इनकार किया. इसलिए मज़बूरी में हमें ये फैसला लेना पड़ा. उन्हें सदन में माफी मांगनी चाहिए.
विपक्ष की आज की बैठक में 16 दलों ने भाग लिया. ये 16 दल कांग्रेस, द्रमुक, शिवसेना, राकांपा, सीपीएम, भाकपा, राजद, आईयूएमएल, एमडीएमके, एलजेडी, एनसी आरएसपी, टीआरएस केरल, कांग्रेस वीसीके एएपी हैं.
‘सरकार ने कभी चर्चा के लिए नहीं किया मना’
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, सत्र को बहिष्कार किए जाने को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है. 12 सांसदों के निलंबन को लेकर बैठक है. जो भी निर्णय इस बैठक के बाद लिया जाएगा उसे हम मानेंगे. 12 सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, जिस मुद्दे पर निलंबित किया गया है वो मुद्दा पिछले सत्र का है, शीतकालीन सत्र में इसे उठाकर निलंबन इसलिए किया गया है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा उनकी पोल न खोल दी जाए.वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जिन भी मुद्दों पर विपक्ष बहस या चर्चा चाहता है उसके लिए सरकार तैयार है. उसके लिए नोटिस दिया जाता है. सरकार ने तो कभी कहा ही नहीं कि हम चर्चा नहीं करने देंगे.
तानाशाही पर उतर चुकी है सरकार
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, अगर प्रधानमंत्री किसानों के मन से आशंका को दूर करना चाहते तो वे सदन में आकर बोलते कि अब ये काला कानून किसी भी स्वरूप में नहीं आएगा. चर्चा न करा के सरकार ने ये बताया है कि जब काला कानून पास किया था तब भी तानाशाही थी, जब इसको वापस लिया तब भी तानाशाही है.किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, किसानों के घर वापसी की अफवाह फैलाई जा रही है. MSP और किसानों पर मुकदमा वापस किए बिना कोई किसान यहां से नहीं जाएगा. 4 दिसंबर को हमारी बैठक है.
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