मॉनसून सेशन के दौरान हंगामा और उपद्रव करने वाले 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्षी और सत्ता पक्ष के बीच राज्यसभा में जंग छिड़ गई है। सदन के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को सत्र शुरू होते ही सांसदों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सांसदों के माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं बनता है बल्कि सरकार ने ही गलत ढंग से उन्हें निलंबित कराया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई नियमों के खिलाफ जाकर हुई है। इसमें उन्हें जवाब देने का भी मौका नहीं मिला और एकतरफा ऐक्शन ले लिया गया था।
वहीं इस पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने कहा कि विपक्ष का रवैया अब भी गलत है। उन्होंने कहा कि पिछले मॉनसून सत्र में जो हुआ, वह आज भी हमें डराता है। मैं उम्मीद करता हूं कि सदन के प्रमुख लोग उस घटना की निंदा करेंगे, जो पिछले सत्र में हुई थी। ऐसा भरोसा मामले को संभालने को लेकर मुझे मदद मिलेगी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ नहीं किया गया है।
नायडू ने निलंबित सांसदों पर हुए ऐक्शन को सही करार देते हुए कहा कि इन लोगों ने 11 अगस्त को सभी हदें पार कर दी थीं। डिप्टी चेयरमैन की ओर से कई बार अपील की गई थी। कई बार उन्होंने सांसदों का नाम लेकर भी शांति की अपील की थी। उन्होंने कहा कि यदि आप लोग उस घटना को जस्टिफाई करते हैं तो फिर उनका निलंबन वापस नहीं लिया जाएगा। वेंकैया नायडू की ओर से सस्पेंशन खत्म न करने के ऐलान के बाद विपक्षी दलों ने सदन से ही वॉकआउट कर दिया।
इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद स्थित दफ्तर में विपक्षी दलों की मीटिंग हुई थी। इस बैठक में कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना, सीपीएम, एनसीपी, आरजेडी, सीपीआई, टीआरएस समेत कुल 15 दलों के नेता शामिल हुए थे। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी केंद्रीय मंत्रियों के साथ मीटिंग की थी और शीत सत्र को लेकर सरकार की रणनीति पर विचार किया था। गौरतलब है कि सोमवार को राज्यसभा से 12 सांसदों का निलंबन कर दिया गया था, जिन्होंने मॉनसून सेशन के दौरान हंगामा किया था और उपसभापति पर पर्चे भी फेंके थे।
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