गरीब छात्रा को प्रवेश देने का आईआईटी BHU को हाईकोर्ट का निर्देश, जज ने अपनी जेब से फीस भी दी..

लखनऊ30 नवंबर (वेदांत समाचार)। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह एक मेधावी गरीब छात्रा की योग्यता से ऐसे प्रभावित हुए कि उन्होंने सुनवाई के दौरान अपनी जेब से छात्रा की फीस के 15 हजार रुपये दे दिये। छात्रा गरीबी के कारण समय पर फीस जमा नहीं कर पाई थी जिस कारण वह आईआईटी में दाखिले से वंचित रह गई थी। 

न्यायालय ने इसके साथ ही ज्वॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी व आईआईटी बीएचयू को भी निर्देश दिया है कि छात्रा को तीन दिन के भीतर दाखिला दिया जाए और यदि सीट खाली नहीं हो तो उसके लिए अलग से सीट की व्यवस्था की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने दलित छात्रा संस्कृति रंजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

छात्रा अपने लिए वकील भी नहीं कर सकी थी। इस पर न्यायालय के कहने पर अधिवक्ता सर्वेश दूबे व समता राव ने अदालत में छात्रा का पक्ष रखा। छात्रा ने दसवीं की परीक्षा में 95.6 प्रतिशत तथा बारहवीं में 94 प्रतिशत अंक हासिल किया था। वह जेईई की परीक्षा में बैठी और उसने मेन्स में 92.77 प्रतिशत अंक प्राप्त करते हुए बतौर एससी श्रेणी की छात्रा 2062 रैंक हासिल किया।

इसके बाद वह जेईई एडवांस की परीक्षा में शामिल हुई। इसमें वह 15 अक्टूबर 2021 को सफल घोषित की गई। उसकी रैंक 1469 आयी। आईआईटी बीएचयू में उसे गणित व कम्पयूटर से जुड़े पंचवर्षीय कोर्स में सीट आवंटित की गई लेकिन वह दाखिले की लिए जरूरी 15 हजार रुपये की व्यवस्था नहीं कर सकी।

छात्रा ने याचिका दाखिल करते हुए मांग की थी कि उसे फीस की व्यवस्था करने के लिए कुछ और समय दे दिया जाए। छात्रा के पिता की किडनी खराब है जिसका ट्रांसप्लांट भी होना है। कहा गया कि उसने ज्वांइट सीट एलोकेशन अथॉरिटी को समय देने के लिए कई बार पत्र लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। न्यायालय अगले सप्ताह मामले की पुनः सुनवाई करेगी।