मनुष्य के शरीर में 600 हॉर्मोन होते हैं, जो अलग-अलग फिजियोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल गतिविधियों को संचालित कर रहे होते हैं. इन 600 हॉर्मोन्स में से छह हॉर्मोन ऐसे हैं, जिन्हें मेडिसिन के भाषा में फैट स्टोरेज हॉर्मोन कहा जाता है. ये वो हॉर्मोन हैं, जो शरीर का वजन बढ़ने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं.
हम अपने आसपास ऐसे बहुत से लोगों को देखते हैं, जिनका खानपान बहुत बेतरतीब नहीं होता, लेकिन फिर भी उनका वजन और शारीरिक अनुपात गड़बड़ होता है. उसकी मुख्य वजन है हॉर्मोनल असंतुलन यानि फैट स्टोरेज हॉर्मोन्स की अधिकता और फैट बर्निंग हॉर्मोन्स का कम होना.
शरीर में छह फैट स्टोरेज हॉर्मोन और सिर्फ 3 फैट बर्निंग हॉर्मोन होते हैं. ये वे हॉर्मोन हैं, जो शरीर में ऊर्जा को नियंत्रित करने, फैट स्टोरेज की प्रक्रिया को रोकने काम करते हैं. साथ ही वजन घटाने में भी मददगार होते हैं.
हमारा वजन कम होगा या नहीं होगा, यह इस बात पर ही मुख्य रूप से निर्भर करता है कि शरीर में इन दोनों प्रमुख हॉर्मोन्स का संतुलन किस प्रकार काम कर रहा है. यदि फैट स्टोरेज हॉर्मोन, जिसमें प्रमुख इंसुलिन है, की मात्रा फैट बर्निंग हॉर्मोन से ज्यादा है तो वजन तमाम कोशिशों के बाद भी कम नहीं होगा.
लेप्टिन: एक फैट बर्निंग हॉर्मोन
लेप्टिन हमारे शरीर में पाया जाने वाला प्रमुख फैट बर्निंग हॉर्मोन है, जो वजन को नियंत्रित करने का काम करता है. इस हॉर्मोन का काम हंगर सेंटर यानि भूख को नियंत्रण में रखना है और खाए गए भोजन को फैट स्टोरेज बनने से रोकना है. यदि शरीर में लेप्टिन हॉर्मोन पर्याप्त मात्रा में हो तो हमारे द्वारा किया जा रहा भोजन ज्यादा सक्रिय गति से ऊर्जा में परिवर्तित होता है और मोटापे को बढ़ने से रोकता है.
लेप्टिन हॉर्मोन की सक्रियता इस बात पर भी निर्भर करती है कि हमारे इंसुलिन का स्तर क्या है. यदि इंसुलिन ज्यादा है तो लेप्टिन सक्रिय नहीं हो पाएगा और भोजन का अधिकांश हिस्सा ऊर्जा में परिवर्तित होने की बजाय फैट में कन्वर्ट होकर शरीर में जमा होता जाएगा.
जब हमारा लेप्टिन हॉर्मोन असंतुलित होता है और शरीर में वजन बढ़ने लगता है तो यह हॉर्मोनल असंतुलन इंसुलिन रेजिस्टेंट की भी स्थिति पैदा करता है, जिससे डायबिटीज होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
आपने अकसर ऐसी बातें सुनी होंगी कि मोटापा हर बीमारी की जड़ है. अगर आप मोटे हैं तो आपको डायबिटीज, ब्लड प्रेशर होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं. ये बात बिलकुल सही है और इसकी मुख्य वजह यही होती है कि हमारे शरीर में लेप्टिन हॉर्मोन काम करना बंद कर देता है.
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