‘ओमीक्रोन’ भारत में कितना खतरनाक, वैक्सीन कितनी असरदार, एम्स के डॉक्टर से जानिए सब कुछ

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘ओमीक्रोन’ को लेकर दुनियाभर में दहशत और आशंकाओं का दौर शुरू हो गया है। भारत में सरकार और विभिन्न एजेंसियां भी सतर्क हैं। वायरस के नए स्वरूप को लेकर चल रही चर्चा के बीच एम्स-दिल्ली में ‘कम्युनिटी मेडिसिन’ विभाग के प्रमुख डॉक्टर संजय राय ने इससे जुड़े कई जरूरी सवालों के जवाब दिए हैं। बता दें कि डॉक्टर संजय राय कोरोना वायरस रोधी टीका संबंधी परीक्षण के मुख्य रिसर्चर भी रहे हैं। आइए जानते हैं ओमिक्रोन को लेकर क्या कहते हैं डॉक्टर संजय राय…

सवाल: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, उस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: वायरस का स्वरूप बदलना चलता रहता है। यह कोई पहला और आखिरी स्वरूप नहीं है। हजारों बार स्वरूप बदलते हैं। अब तक जो साक्ष्य सामने आए हैं उससे यह पता चलता है कि इस स्वरूप से तेजी से संक्रमण होता है। यह टीकों को बेअसर कर सकता है। अगर ऐसा है तो यह चिंता का विषय है क्योंकि दुनिया में ज्यादातर देशों के अधिकतर लोगों में इम्युनिटी  टीकों की वजह से है। भारत में ज्यादातर लोगों में संक्रमण की वजह से बनी स्वाभाविक इम्यूनिटी है।

सवाल: तो क्या माना जाए कि ओमिक्रोन भारत के लिए कम चिंताजनक है?
जवाब: अभी हमें यह देखना है कि क्या यह स्वरूप स्वाभाविक प्रतिरोधक क्षमता को भी बेअसर कर रहा है या नहीं? अब तक जितने भी स्वरूप आए हैं, वे इस ‘इम्युनिटी’ को बेअसर नहीं कर पा रहे थे। अगर यह स्वरूप स्वाभाविक इम्युनिटी को बेअसर नहीं कर पा रहा है तो फिर भारत के ज्यादातर लोग सुरक्षित होंगे।

सवाल: फिलहाल भारत में कितने लोगों में स्वाभाविक इम्यूनिटी मौजूद होगी?
जवाब: मेरे हिसाब से देश में 60 से 70 फीसदी लोगों में स्वाभाविक इम्यूनिटी है। आईसीएमआर ने 68 फीसदी लोगों में स्वाभाविक इम्युनिटी की बात की है। जो लोग डेल्टा स्वरूप वाले वायरस के संक्रमण के बाद स्वस्थ हुए, उनमें सबसे ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता है। सीरो-सर्वेक्षण में भी यह बात सामने आई थी कि दिल्ली में 90 फीसदी से अधिक लोगों में एंटीबॉडी हैं।

सवाल: स्वाभाविक इम्यूनिटी को देखते हुए ओमीक्रोन के खिलाफ भारत में बनी वैक्सीन कितनी कारगर होगी?
जवाब: भारत के कोवैक्सीन और चीन के टीके (साइनोवैक) के ही कारगर होने की संभावना सबसे ज्यादा है। जैसे संक्रमण के बाद शरीर में स्वाभाविक एंटीबॉडी बनती है, उसी तरह ये दोनों टीके भी एंटीबॉडी बनाते हैं। बाकी टीके ‘स्पाइक प्रोटीन’ के विरुद्ध एंटीबॉडी बनाते हैं। अगर ‘स्पाइक प्रोटीन’ इतना बदल जाएगा तो हो सकता है कि वायरस का यह स्वरूप इन टीकों से बनी एंटीबॉडी को बेअसर कर दे। दूसरी तरफ, कोवैक्सीन पूरे वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। ऐसे में अगर संक्रमण हो जाए तो हो सकता है कि व्यक्ति गंभीर स्थिति में नहीं जाए। हालांकि अभी इस पर स्टडी होनी है।

सवाल: ओमिक्रोन को लेकर फिलहाल सरकार और लोगों के स्तर पर क्या किया जाना चाहिए?
जवाब: फिलहाल जरूरी यह है कि अफरा-तफरी नहीं मचाई जाए। अनावश्यक रूप से डरने की जरूरत नहीं है। सतर्क रहने की जरूरत है। यह काम सरकार के स्तर पर हो सकता है कि इसकी नियमित रूप से निगरानी की जाए। इसके संक्रमण के स्तर, इसकी भयावहता पर नजर बनाए रखी जाए। लोगों को कोरोनो प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना चाहिए।