राजस्थान 28 नवंबर (वेदांत समाचार)। राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक शादी देश भर में बेहद सुर्खियां बटोर रही है. जहां शादी में वधु को मिले कन्यादान की राशि को गर्ल्स हॉस्टल के लिए दान दे दी. एक बेटी ने अपने पिता से शादी में मिलने वाली 75 लाख रुपए की रकम को गर्ल्स हॉस्टल के लिए डोनेट कर समाज में एक मिशाल पेश की है. पिता ने भी खुशी-खुशी बेटी की यह बात मानकर उसकी ख्वाहिश पूरी कर दी. वहीं, बेटी और पिता के इस कदम हर तरफ चर्चा हो रही है. वहीं, बाडमेर की रहने वाली अंजलि ने बचपन में ही पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा होने की ठान ली थी. पिता किशोर सिंह कानोड़ ने हर कदम पर उसका बखूबी साथ दिया और पढ़ाया.
दरअसल, अंजलि के इस कदम के पीछे उनके संघर्ष की एक बड़ी कहानी है. अंजली ने बताया कि 12वीं के बाद पढ़ाई को लेकर लोगों ने उसके पिता को ताने देने शुरू कर दिए. ऐसे में अंजलि ने लोगों की बातों के चलते पढ़ने की जिद नहीं छोड़ी और स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर ली. इस दौरान शादी से पहले पिता से कहा कि उसे दहेज नहीं चाहिए, दहेज में जितनी राशि देना चाहते हो वह समाज की बेटियों के लिए गर्ल्स हॉस्टल के निर्माण के लिए देना है. फिर पिता ने बेटी के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया. अंजली बाड़मेर जिले के कानोड़ गांव की रहने वाली हैं और वो जिस समाज से आती हैं, वहां पर लड़कियों का पढ़ना लिखना बहुत ही कम संभव हो पाता है.
बेटी ने पिता से 75 लाख रुपए गर्ल्स हॉस्टल के लिए कराए दान
बता दें कि अंजली ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई जोधपुर से की फिर वो दिल्ली आ गईं. यहां पर उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अब LLB की पढ़ाई पूरी कर रही है. ऐसे में गर्ल्स हॉस्टल के निर्माण के लिए अंजलि के पिता किशोर सिंह कानोड़ पहले ही 1 करोड़ रुपए का दान कर चुके है. लेकिन यह प्रोजेक्ट अधूरा रह गया. क्योंकि इसकी लागत 75 लाख रुपए और बढ़ गई. जब इस बात का पता अंजलि को लगा तो उसने ठान लिया कि वो किसी भी हाल में गर्ल्स हॉस्टल बनवा कर रहेंगी. इस दौरान जब उसकी शादी हुई तो उसने अपने पिता से कहा कि कि कन्यादान में उसे 75 लाख रुपए चाहिए जो वो बालिका हॉस्टल के लिए देना चाहती हैं. पिता ने अपनी बेटी की इच्छा को 21 नवंबर को कन्यादान के समय पूरी कर दी.
बाड़मेर की बेटी ने पिता से मांगा था ब्लैंक चेक
बीते दिनों अंजलि पुत्री किशोर सिंह कानोड़ की शादी प्रवीण सिंह पुत्र मदन सिंह भाटी रणधा के साथ बाड़मेर में हुई. शादी की रस्में निभाई गईं. विदाई से पहले अंजलि कंवर ने एक पत्र महंत प्रतापपुरी महाराज को दिया. इसमें शादी में दहेज नहीं लेकर बेटियों के लिए छात्रावास निर्माण की बात लिखी थी. महंत प्रतापपुरी ने समाज के लोगों की मौजूदगी में अंजलि कंवर की भावनाएं प्रकट की तो तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया गया. इस दौरान किशोर सिंह कानोड़ ने खाली चेक थमाते हुए कहा कि छात्रावास के लिए जितनी भी राशि चाहिए वो इसमें भर दें.
एक जमाने में बेटियां रखना अभिशाप माना जाता था
गौरतलब है कि पश्चिमी राजस्थान का यह इलाका किसी जमाने में बेटियों को पैदा होते ही मार देता था. क्योंकि बेटियां रखना अभिशाप माना जाता था लेकिन बदले हालातों के चलते अब ऐसा नहीं है. अब यहां पर बेटियां भी बेटों से कम नहीं है. लिहाजा परिवार के लोग भी बेटियों के सपनों को साकार करने के लिए बेटियों के कदम के साथ कदम मिलाते नजर आ रहे हैं. इसमें अंजलि ने एक मिसाल पेश की है.
[metaslider id="347522"]