टाइगर का शव जलाया गया, शिकार की आशंका:जहां मिली थी शावक की बॉडी वो इलाका लकड़ी तस्करों का गढ़, वन अधिकारियों का कोई बयान नहीं

अचानकमार टाइगर रिजर्व में मिले बाघ के शव के मामले में जो बड़ी खबर निकलकर आ रही है वो है, जिस जगह पर बाघ का शव मिला है वो जगह लकड़ी तस्करों का गढ़ है। टिंगीपुर के जंगल से बड़े पैमाने पर लकड़ी तस्करी होती है। यहां से कई बार लकड़ी तस्करी के मामले पकड़े गए हैं। यहां के कक्ष क्रमांक 94 में शावक की लाश मिलने ने शिकार की आशंका खड़ी कर दी है। शुक्रवार को शावक के शव को जला दिया गया। शव मिलने के दो दिन बाद भी वन विभाग के अधिकारियों ने कोई बयान जारी नहीं किया है।

अचानकमार टाइगर रिजर्व से लगे जंगल में, जिसे वन विकास निगम का एरिया बताया जा रहा है वहां गुरुवार को शावक का शव मिलने से हड़कंप मच गया था। रायपुर से वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ नरसिम्हा राव भी देर रात पहुंच गए थे। बिलासपुर सीसीएफ, चार डीएफओ, अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों का अमला भी सुबह से घटनास्थल के आसपास डटा रहा। अधिकारियों की उपस्थिति में चार डॉक्टरों की टीम ने शावक की लाश का पोस्टमार्टम किया। जिसके बाद उसके शव को मौके पर ही जलाया गया। 24 घंटे से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी ना तो कोई विभाग का अधिकारी कैमरे पर आया और ना ही मोबाइल से मीडिया के सामने इस मामले की जानकारी दी। किसी तरह का प्रेस नोट भी नहीं जारी किया गया, जो अमूमन ऐसी घटनाओं के बाद किया जाता है।

दूध के दांत भी नहीं टूटे थे शावक के

वन विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मृत शावक की उम्र लगभग 4 से साढ़े 4 माह के करीब थी। उसके मिल्क टीथ मौजूद रहने की जानकारी मिल रही है। आमतौर पर शावकों के दूधिया दांत 5 माह के बाद टूटने शुरू होते हैं। वहीं ये भी जानकारी मिली है कि जिस जगह पर शावक का शव मिला है, उसके आसपास वयस्क बाघ के पगमार्क भी वन अमले को मिले हैं। ऐसे में ये भी आशंका जताई जा रही है कि आसपास मादा बाघ या कोई नर बाघ भी मौजूद है।

लकड़ी तस्करी का बड़ा गढ़

घटनास्थल लकड़ी तस्करों का पसंदीदा एरिया है। इस पहाड़ी के नीचे की ओर मैदानी जगह पर पाली, बांधा और तेंदुआ नाम के वो गांव है, जहां पर बड़े पैमाने पर लकड़ी तस्कर रहते हैं। ये तस्कर लकड़ियों को काटकर ऊंचे दामों पर रायपुर, भिलाई, नागपुर, दुर्ग जैसे महानगरों में खपाते हैं। इन जगहों पर कीमती सागौन और सरई लकड़ियों की फर्नीचर बनाने के लिए भारी डिमांड है। समय-समय पर इन गावों में फॉरेस्ट विभाग की टीम ने कई बार बड़ी छापेमारी की है। यहां पर लाखों रुपए की लकड़ियों की बरामदगी भी की जाती रही है।

घायल अवस्था मे मिली थी बाघिन

इससे पहले 4 जून को एटीआर में एक बाघिन छपरवा के जंगल में गंभीर रुप से घायल अवस्था में मिली थी। बाघिन के कमर और पिछले पैर में चोट के निशान थे। जिसका इलाज अभी बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में किया जा रहा है। जहां बाघिन की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। बाघिन ठीक तरह से खाना भी नहीं खा रही है।