रायपुर 26 नवंबर (वेदांत समाचार)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मतांतरण पर भाजपा नेताओं के बयान को राजनीतिक प्रलाप बताया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मतांतरण विरोधी कानून लागू है। कोई भी व्यक्ति किसी को जबरिया या प्रलोभन देकर मतांतरण करवाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के रास्ते खुले हैं। मरकाम ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिया है कि कहीं भी मतांतरण की कोई भी शिकायत आए तो तत्काल कार्रवाई की जाए। धर्म व्यक्ति की निजी आस्था का विषय है। संविधान सभी व्यक्ति को उसकी इच्छा के अनुसार धर्म के पालन की छूट देता है। भाजपा धर्म के आधार पर विद्वेष फैलाकर प्रदेश का माहौल खराब कर रही।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा आदिवासी संस्कृति के नाम पर घड़ियाली आंसू मत बहाए। छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी समृद्ध और मजबूत हैं। कोई उस पर प्रहार नहीं कर सकता। भाजपा के 15 सालों के सरकार के समय जरूर आदिवासी संस्कृति को दबाने का प्रयास हुआ था, लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद आदिवासी संस्कृति, आदिवासी समाज की आर्थिक, शैक्षणिक उन्नति के रास्ते खोले गए। आदिवासियों को जेलों में बंद करने के भाजपाई कुचक्र पर विराम लगाया गया। मतांतरण की बातें भाजपा का दिमागी फितूर मात्र है। प्रदेश में न तो सनातन धर्म खतरे में है, न ही आदिवासी संस्कृति को कोई खतरा है।
कांग्रेस अपने संरक्षण में होने दे रही मतांतरण: भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्य्क्ष विष्णुदेव साय, सांसद रामविचार नेताम और मोहन मंडावी ने कहा है कि प्रदेश में मतांतरण का कुचक्र किस तेजी से चल रहा है, यह आदिवासी समाज के महानायक शहीद गुंडाधुर के वंशजों द्वारा किए गए मतांतरण के मामले से स्पष्ट हो गया है। प्रदेश सरकार के राजनीतिक संरक्षण में यह षड्यंत्र चल रहा है। भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रदेश के भोले-भाले आदिवासियों की धार्मिक आस्था, संस्कृति, परंपराओं को मतांतरण के जरिए कुचलने के अनेक मामले सामने आने के बावजूद प्रदेश सरकार इसे रोकने का कोई ठोस प्रयास नहीं कर रही है।
प्रदेश के आदिवासी समाज की कितनी बड़ी विडंबना है कि जिन शहीद गुंडाधुर ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी। छत्तीसगढ़ की अस्मिता बचाए रखने के लिए संघर्ष किया। आज उनके वंशजों को मतांतरण के लिए विवश होना पड़ रहा है। यह मामला बताता है कि प्रदेश में मतांतरण का कुचक्र चला रही संस्थाएं कितनी गहरी पैठ कर चुकी हैं। मतांतरण का यह संत्रास अब देश की संस्कृति और सभ्यता पर आक्रमण है। कोयलीबेड़ा क्षेत्र में मतांतरण के खिलाफ आदिवासी समाज की जनजागरण रैली प्रदेश सरकार की लापरवाही को बेनकाब करती है।
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