छत्तीसगढ़: जीपी सिंह को अंतरिम राहत नहीं, हाईकोर्ट ने मांगा 4 सप्ताह में शासन से जवाब; आय से अधिक संपत्ति मामले में FIR को दी थी चुनौती

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के निलंबित ADG जीपी सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही शासन से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। IPS सिंह ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दर्ज FIR को चुनौती देते हुए अंतरिम राहत देने की मांग की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की बेंच में हुई। कोर्ट ने शुक्रवार को फॉर प्रोनाउंसमेंट ऑफ जजमेंट के तौर पर मामले को लिस्टेड किया था।

IPS जीपी सिंह ने अपने अधिवक्ता आशुतोष पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में नई याचिका पेश की है। उन्होंने अपने खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने केस को चुनौती देते हुए कहा है कि FIR से पहले शासन ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। ऐसे में आपराधिक प्रकरण निरस्त किया जाना चाहिए। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि धारा 17 (क) के तहत FIR से पहले सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। इसी तरह केंद्रीय कार्मिक विभाग से भी अनुमति लेनी थी, पर ऐसा नहीं किया गया।

उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत केंद्रीय कार्मिक विभाग व गृह मंत्रालय से जानकारी ली, तब पता चला कि कार्रवाई करने के पहले प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। लिहाजा, याचिका में FIR को निरस्त करने की मांग की गई है। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर मामले की सुनवाई होने तक FIR पर स्टे देने की मांग की गई। इस मामले पर 17 नवंबर को हुई इस सुनवाई के बाद जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दो दशक की सेवा में मिले कई पुरस्कार


इस याचिका में उनके वकील ने बताया गया था कि IPS के पद पर जीपी सिंह ने 19 साल से सेवाएं दी हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने उनके उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की और उन्हें कई अवार्ड भी दिए गए। उन्होंने सवाल किया है कि जो अफसर लगातार बेहतर काम कर रहे थे। उसी अफसर को अचानक भ्रष्टाचार का आरोपी बना दिया गया। ऐसी नौबत क्यों आई, इसके तथ्यों पर विचार करना चाहिए। याचिका में उन्होंने कहा है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में उन्हें सुनियोजित तरीके से फंसाया गया है।

जांच में करेंगे सहयोग


याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि FIR को निरस्त करने की मांग की है। साथ ही प्रकरण की सुनवाई होने तक अंतरिम राहत के तौर पर FIR पर स्टे देने का आग्रह किया गया है। उनकी वकील ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता IPS अफसर राज्य शासन की जांच में हर तरह से मदद करेंगे।

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