अपात्रों से आवास खाली कराने एनसीएल का नया फामूर्ला, एसईसीएल इस मामले में पीछे…

कोरबा24 नवंबर (वेदांत समाचार)। कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी नार्दन कोलफील्डस लिमिटेड, सिंगरौली ने हर हाल में कंपनी की संपत्ति की सुरक्षा और सदुपयोग की दिशा में ध्यान दिया है। खास तौर पर अपात्रों से आवास खाली कराने के मामले में पूरी सख्ती से काम किया जा रहा है। इसके उल्टे कोल इंडिया की लाभकारी कंपनियों में शामिल साउथ ईस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड या तो उदासीन है या फिर पीछे है। इसलिए एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में विभागीय आवासों के साथ-साथ दूसरी सुविधाओं का बेजा उपयोग जारी है।


अधिक समय तक ज्वलनशीलता की विशेष गुणधर्मिता वाले कोयला के लिए एनसीएल सिंगरौली का कोल इंडिया में अपना विशेष महत्व है। इस खनिज को दूसरी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा रेट मिल रहा है। इसी के साथ एनसीएल ने अपने सभी क्षेत्रों में अधिकारियों और कर्मचारियों को ज्यादा अनुकूलता देना सुनिश्चित किया है। इसी के साथ कुछ मामलों में पूरी पारदर्शिता और कठोरता भी अपनायी जा रही है। खबर के अनुसार एनसीएल प्रबंधन ने अपने संपदा और सुरक्षा विभाग को स्पष्ट रूप से कह रखा है कि किसी भी कीमत पर विभागीय आवासों और बुनियादी सुविधाओं का अनुचित उपयोग नहीं होना चाहिए। इसी कड़ी में कंपनी के द्वारा सभी क्षेत्रों में इस फरमान के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है। एक तो आवासों में बेजा कब्जा की प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जा रहा है वहीं सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों से तीन महीने के भीतर आवास छोडऩे के लिए कहा जा रहा है। नाफरमानी का सवाल इसलिए नहीं है कि क्योंकि समय से पहले ही संबंधित क्षेत्र में कंपनी के लोग मुनादी करने पहुंच जाते हैं। इसके जरिये चेतावनी देने के साथ बताया जा रहा है कि आवास नहीं छोडऩे पर सामान बाहर कर दिया जाएगा और दूसरे आर्थिक लाभों पर नकेल कस दी जाएगी। प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि इस कदम पर चलने से हमारे सभी आवास जल्द कब्जे में आ जाते हैं और प्रतीक्षा सूची के कर्मियों को इसका आबंटन कर दिया जाता है।

इसके ठीक उल्टे साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, चिरमिरी, मनेन्द्रगढ़, विश्रामपुर, भटगांव, रायगढ़ छाल, हसदेव समेत सभी क्षेत्रों में विभागीय कालोनियों में हजारों की संख्या में आवास बेजा कब्जा की भेंट चढ़े हुए हैं। सेवानिवृत्त हुए कर्मियों का डेरा इसी पर बना हुआ है। वहीं गैर कर्मियों ने भी गलत तरीके से इन आवासों को हथियाने में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित कर ली है। जहां तक कोरबा का सवाल है कई नेताओं की सांठगांठ से आवासों को किराये पर चलाने का कारोबार अच्छी तरह से फलफूल रहा है।
लग रही करोड़ों की चपत


जानकारों ने बताया कि एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में अपात्रों के चंगुल में आवासों के फंसे होने से वास्तविक कर्मी सुविधा से वंचित है। दूसरी ओर जो लोग गलत तरीके से काबिज हैं वे एसईसीएल के खर्च से नि:शुल्क बिजली और पानी की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस पक्रिया से एसईसीएल कंपनी को करोड़ों की चपत लग रही है। सवाल यह है कि दूसरे इलाकों में जो प्रयोग किये जा रहे हैं उसका अनुशरण क्यों नहीं किया जा रहा है।