पुलिस के सामने ही दबंगों की गुंडागर्दी! दलित दूल्हों को नहीं चढ़ने दिया घोड़ी, जबरदस्ती उतारकर बाइक से भेजा..

राजस्थान23 नवंबर (वेदांत समाचार)। राजस्थान में बूंदी जिले के नीम का खेड़ा गांव में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दलित दूल्हा (Groom) दबंगों की वजह से अपनी दुल्हन के दर घोड़ी पर सवार हो कर नहीं जा सका. जिसके बाद घोड़ी की जगह दूल्हा मोटर साइकल पर सवार हो कर दुल्हन के घर पहुंचा. वहीं मामले में पुलिस का कहना है कि उनके मौके पर पहुंचने पर किसी ने भी दूल्हों को घोड़ी पर बिठाने की बात नहीं कही.

जानकारी के अनुसार नीम का खेड़ा गांव निवासी गणेश लाल मेघवाल की तीन बेटियों को ब्याहने के लिए भीलवाड़ा जिले के किशनों का झोपड़ा निवासी गोवर्धन, सरदार जी का खेडा का नंदलाल और बूंदी से सीताराम कल शाम गांव पहुंचे थे. बारातों की अगवानी के बाद जब तीनों दूल्हों को घोडियों पर बिठाकर दुल्हनों के घर तोरण द्वार पर ले जाने की तैयारी हो रही थी, तभी कुछ दबंग इकट्टा हो गए और पुरानी रीति-रिवाज होने का हवाला देते हुए दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं उठाने की बात कही जिससे तनाव पैदा हो गया.

बुजुर्गों के साथ समझाईश के बाद बाइक पर गए दूल्हे

इस बारे में सूचना मिलने पर बूंदी से पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और गांव की कुछ बुजुर्गों के साथ समझाईश की और अंत में देर रात्रि को दुल्हों को दुपहिया वाहनों से दुल्हनों के द्वार तक ले जाकर तोरण मारना तय हुआ. इसी के अनुरूप बिना घोड़ी दूल्हों की बिंदोरी निकाली और उन्होंने तोरण मारे गये.

पुलिस के पहुंचने के बाद किसी ने नहीं की घोड़ी की बात

इस बारे में पुलिस का कहना है कि पुलिस के गांव में पहुंचने के बाद किसी ने दूल्हों को घोड़ी पर बिठाने की बात नहीं कही और न ही मौके पर कोई घोड़ी मिली. यह पहली बार नहीं है जब ऐसा देखा गया है. इससे पहले भी कई बार दलित जाती के दूल्हों को घोड़ी पर चढ़ने से मना किया गया है. अगड़ी जाती के लोग पूराने रीति-रिवाजों का हवाला देकर दूल्हों को घोड़ी पर बारात लेकर निकलने पर रोकते आए हैं.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]