ऑस्ट्रेलिया ने महामारी संबंधी अपने कड़े यात्रा प्रतिबंधों में अगले महीने से ढील देने की घोषणा कर दी है. इस फैसले से हजारों भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया लौटने में मदद मिलने की उम्मीद है. ऑस्ट्रेलिया सरकार के एक बयान में कहा गया है कि 1 दिसंबर से, छात्रों और कुशल श्रमिकों सहित पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके योग्य वीजा धारक, यात्रा छूट के लिए आवेदन करने की आवश्यकता के बिना ऑस्ट्रेलिया आ सकते हैं.
किन लोगों को मिलेगी ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश की इजाजत
इसमें कहा गया है कि आगंतुक को ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सीय सामान प्रशासन (टीजीए) से अनुमोदित या मान्यता प्राप्त टीके की ‘सभी खुराक’ के साथ पूर्ण टीकाकरण कराना होगा और पात्र वीजा उपवर्गों में से एक के लिए वैध वीजा होना चाहिए. यात्रियों को अपने टीकाकरण की स्थिति का प्रमाण भी देना होगा और ऑस्ट्रेलिया के लिए प्रस्थान करने से पहले तीन दिनों के भीतर कराई गई कोविड-19 ‘पोलीमरेज चेन रिएक्शन’ (पीसीआर) जांच की नेगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी.
करीब 20 महीनों से यात्रा पर लगा हुआ था प्रतिबंध
बयान में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया जाने वाले यात्रियों को अपने आगमन के क्षेत्र में आइसोलेशन की जरूरतों का पालन करना होगा. ऑस्ट्रेलिया सरकार ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में कुशल श्रमिकों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वापसी से देश के आर्थिक सुधार और शिक्षा क्षेत्र को समर्थन मिलेगा.
बताते चलें कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने कोरोना महामारी की वजह से बीते करीब 20 महीनों से यात्राओं पर प्रतिबंध लगा रखा था. ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने क्वारंटीन फ्री यात्रियों के लिए 1 नवंबर को ही बॉर्डर खोल दिए थे. हालांकि, उस समय केवल सरकार ने सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के स्थाई निवासियों और नागरिकों के ही प्रवेश की अनुमति दी थी.
श्रमिकों की कमी की वजह से कृषि पर पड़ा बुरा असर
यात्रा प्रतिबंधों की वजह से ऑस्ट्रेलिया के बड़े किसानों को खेतों में काम करने के लिए कुशल श्रमिक नहीं मिल रहे, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी उपज को सड़ने के लिए खेतों में ही छोड़ दिया. सरकारी फैसलों की वजह से बाहरी श्रमिक ऑस्ट्रेलिया नहीं जा पा रहे थे, जिसकी वजह से यहां के किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन अब यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद किसानों को उम्मीद है कि वे अपने खेतों में पहले की तरह की काम करा पाएंगे.
गौरतलब है कि कोरोना के चलते ऑस्ट्रेलिया के खेतों में काम करने वाले श्रमिक वापस अपने घर लौट गए थे. ये श्रमिक ऑस्ट्रेलिया के खेतों में फसलों की बुआई से लेकर कटाई और फिर उन्हें इकट्ठा करना जैसे कई काम करते हैं. ऐसे में श्रमिका की गैर-मौजूदगी से ऑस्ट्रेलियाई किसानों पर तो बुरा असर पड़ ही रहा था, इसके साथ ही देश की कृषि पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिला.
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