भारत में तो फास्ट फूड खाने से तबीयत बिगड़ जाती है… मगर विदेशी इतना पिज्जा बर्गर कैसे खा लेते हैं?..

टीवी, फिल्म आदि के माध्यम से पता चलता है अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश अपनी मील में बर्गर, पिज्जा का काफी इस्तेमाल करते हैं. जिस तरह से हम खाने में रोटी या चावल पर जोर देते हैं, ठीक वैसे ही वहां के लोग पिज्जा बर्गर पर जोर देते हैं. लेकिन, जब हमारे यहां लगातार फास्ट फूड खाते है तो हमारी तबियत बिगड़ जाती हैं, लेकिन सवाल है कि विदेशियों के साथ ऐसा क्यों नहीं होता है. वे इतनी ज्यादा मात्रा में भी ये सब खाते हैं तो भी उनको खास असर नहीं पड़ता है.

भारत में तो कई रिसर्च में सामने आया है कि ये हेल्थ के लिए काफी नुकसानदायक है और फास्ट फूड कई बीमारियों का कारण भी है. ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं कि विदेशी लोगों के सब खाने से असर क्यों नहीं पड़ता है…

वैसे इस सवाल का कोई एक जवाब नहीं है और लोग अलग-अलग विदेशियों की इस आदत के पीछे अलग तर्क देते हैं. ऐसे में हर एक तर्क के आधार पर देखें तो समझा सकता है कि आखिर विदेशी ऐसा क्यों कर लेते हैं. इसमें उनके फास्ट फूड खाने के तरीके से लेकर इसकी आदत तक कई कारण शामिल हैं.

खाना बनाने का तरीका है अलग

कई लोगों का तर्क है कि वहां पिज्जा बनाने का तरीका अलग होता है, जो कि भारतीय पिज्जा से काफी अलग है. वहां पिज्जा का बेस काफी हल्का होता है, जिससे यह शरीर को कम नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा वो इसमें अन्य पौषक तत्वों का भी खास ख्याल रखते हैं यानी इसमें सब्जियां आदि काफी मात्रा में डाली जाती है.

अन्य चीजों से करते हैं भरपाई

दरअसल, ऐसा नहीं है कि वहां के लोग सिर्फ पिज्जा जैसे फास्ट फूड पर ही जिंदा रहते हैं. अगर वे एक मील में फास्ट फूड खा रहे हैं तो दूसरी मील में उसके हिसाब से खाना खाते हैं, जिसमें सब्जियां, चिकन आदि शामिल है. मतलब सभी अपना बैलेंस बनाए रखते हैं और सेहत के हिसाब से डाइट को मेनटेन करते हैं. इसके अलावा ये भी तर्क है कि ये लोग सिर्फ फास्ट फूड ही नहीं खाते हैं बल्कि कई चीज खाते हैं. जैसे अमेरिका में हैम बर्गर का कल्चर सिर्फ गरीब लोगों में ज्यादा है.

शरीर पर उतना ही ध्यान

इसके अलावा फास्ट फूड का सेवन करने वाले लोग अपनी हेल्थ का उतना ही ध्यान रखते हैं. अधिकतर लोग जिम, स्विमिंग पूल, वॉक, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल आदि करते हैं, जिससे उनकी सेहत भी ठीक रहती है. जितना ज्यादा गलत चीजों का सेवन वो करते हैं, उतना ही वो एक्सरसाइज आदि के माध्यम से इसकी भरपाई की जाती है.

शरीर की बनावट

इन सभी तर्क के अलावा सबसे अहम है उनकी आदत. आपने भारत में ही देखा होगा कि साउथ इंडिया में लोग अलग तरह का खाना खाते हैं, जबकि नॉर्थ में खाने का तरीका लग होता है. तो ऐसे ही अलग अलग देशों के साथ है. उनका शरीर उन सभी चीजों का आदि हो चुका है और जलवायु से लेकर कई चीजें उनके अनुरूप हैं, जिससे इन सभी चीजों से उनके असर नहीं होता है. अगर वो ही लोग अपने यहां की डिश खाते हैं तो उन्हें फिर भी दिक्कत हो सकती है.

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