20 नवंबर (वेदांत समाचार)। स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर को लगातार पांचवीं बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है. शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह सिंह ने शनिवार को नई दिल्ली में पुरस्कार ग्रहण किया. इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने सफाई कर्मचारियों को इसका श्रेय दिया क्योंकि कोविड -19 के दौरान स्वच्छता सबसे बड़ी चुनौती थी.
इंदौर नगर निगम की कमिश्नर प्रतिभा पाल ने कहा, “कोरोना काल में सफाई कर्मियों ने शहर को साफ-सुथरा रखने, मेडिकल वेस्ट के निस्तारण, कोविड केयर सेंटर स्थापित करने, कोविड टेस्टिंग और टीकाकरण केंद्र बनाने का काम किया. निगम कर्मचारियों ने मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण किया. जब पूरा शहर सोता है, तो निगम के कर्मचारी शहर की सफाई करते हैं.”
इंदौर की आबादी 35 लाख है. लेकिन यह पूरे देश के करोड़ो लोगों के लिए प्रेरणा है. लेकिन इंदौर सिर्फ अपनी सड़कों और गलियों को ही साफ करने में आगे नहीं रहा है. बल्कि उसने नदियों को भी पुनर्जीवित किया है. वह नदियां जो कभी पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर थीं. इंदौर ने 21.3 किमी लंबी कान्ह और 12.4 किमी सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया. नदियों को साफ करने के लिए छह प्रमुख नालों समेत 137.28 किलोमीटर में बहने वाले सीवर को प्रोसेस किया गया. वहीं, रोड पर कचरा न होने से वह नालों में भी जमा नहीं होता है.
कचरे से कमाई करता है इंदौर
इंदौर कचरे से हर साल 20 करोड़ रुपए की कमाई करता है. इसमें कार्बन क्रेडिट, सीएनजी, कंपोस्ट खाद, CND वेस्ट और सूखा कचरा शामिल है. विशेषज्ञों का मानना है कि इंदौर तेजी से कचरे के प्रबंधन पर काम कर रहे हैं. 2025 तक ये कमाई लगभग 100 करोड़ रुपए हो जाएगी.
क्या-क्या उठाए हैं कदम
2017 में इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर का खिताब दिया गया था. 2016, 2017 और 2018 में इंदौर नगर निगम ने नागरिकों के सहयोग से घर-घर से कचरा कलेक्शन, गीले और सूखे कचरे को अलग करना, पब्लिक टॉयलेट और यूरिनल का निर्माण और गीले कचरे की प्रोसेसिंग सुनिश्चित की. इंदौर के जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, बाजार एसोसिएशन ने अपने-अपने स्तर पर जागरुकता अभियान चलाया. तीन सालों की मेहनत का फल है कि इंदौर लगातार पांच सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर बनकर उभरा है.
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