शराबबंदी पर सख्ती के बाद थाना प्रभारी परेशान, इलाके में मिली शराब तो फिर 10 साल तक नहीं बन पाएंगे थानेदार, प्रमोशन भी प्रभावित…

बिहार 20 नवंबर (वेदांत समाचार)। बिहार सरकार ने शराबंदी कानून को पालन कराने के लिए सख्ती बरत रही है. मंगलवार को नीतीश कुमार ने इसपर सात घंटे की मैराथन समीक्षा बैठक की थी. शराबबंदी को सख्ती से पालन कराने के लिए कड़क अधिकारी केके पाठक को मद्य निषेध विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है. इसके बाद से विभाग में हड़कंप मच गया है.

वहीं समीक्षा बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि जिस इलाके में शराब मिलेगी, उस इलाके के थानाध्यक्ष पर गाज गिरेगी. मतलब वहां के थाना प्रभारियों की नियुक्ति अगले 10 साल तक थानों में नहीं होगी. इसके बाद सबसे ज्यादा परेशान पुलिस कर्मी हैं. खासकर थानों के थाना प्रभारी हैं.

शराब मिले तो प्रमोशन भी प्रभावित

बता दें कि बिहार में कुल 1064 थाने हैं. यहां के आधे से ज्यादा थानेदारों का प्रमोशन होना है. अगले 6 महीने बाद इनके प्रमोशन होंगे. बिहार में लगभग 200 इंस्पेक्टर हैं, जिनके प्रमोशन का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. ये इंस्पेक्टर से DSP बनने वाले हैं. इनकी लड़ाई अंतिम चरण में है. उनके पक्ष में कभी भी फैसला हो सकता है. ऐसे में इन्हें डर लग रहा है कि अगर इनके इलाके में शराब मिलती है तो उनका प्रमोशन रुक जाएगा और CR खराब हो जाएगा. तो वहीं 300 दरोगा हैं, जिनका इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन होना है. इन्हें भी इस बात का डर सता रहा है कि इनका CR खराब हो जाएगा.

पुलिसकर्मी का कैरियर दाव पर!

थानेदार पर गाज गिरने की जब से बात हुई तबसे पुलिसकर्मी के परिवार वाले भी डरे सहमे हुए हैं. डर यह कि कहीं उनके इलाके में यह गड़बड़ी तो नहीं हो रही. ऐसे में उनका बना-बनाया करियर खराब हो जाएगा.वहीं इसपे बिहार पुलिस मैंस एसोसिएशन के मृत्युंजय कुमार सिंह कहते हैं कि शराबबंदी को सफल बनाने में पुलिसकर्मी ही लगे हैं, लेकिन अब पुलिसकर्मियों का करियर दांव पर लग गया है