रायपुर 19 नवंबर (वेदांत समाचार)। आचार्यश्री रामेश के आज्ञानुवर्ती शासनदीपक संत हेमंतमुनि और सौरभमुनि ने शुक्रवार को चातुर्मास समापन के अवसर पर धर्मसभा में कहा, चातुर्मास धर्म को छूने का निमित्त है। व्यक्ति इस निमित्त को जानकर झूमने लगता है। वक्ता वक्त है, लेकिन हर वक्त वह वक्ता नहीं होता। चातुर्मास में भगवान महावीर के उद्गार हमें हर दिन प्राप्त होते रहे। जिन शासन श्रेष्ठों का समूह है। इसी श्रेष्ठ समूह के कारण हम सज्जन कहला रहे हैं। चातुर्मास सभी धर्मों में माना जाता है, लेकिन यह जैन धर्मावलंबियों के लिए विशेष होता है।
मुनिश्री ने कहा, जिन शासन का चातुर्मास उत्कृष्ठ होता है। अब जिन साधुओं के विहार की बेला है, विदाई का समय नहीं है। विहार, विशेष उपलब्धियों से भरा होता है। इस विशेष समय पर सद्कर्म का संकल्प लें। शब्दों की विदाई जरूरी नहीं होती। साधु का स्नेह सभी जीवों के प्रति होता है। व्यक्ति विशेष के लिए नहीं।
संत सौरभमुनि ने कहा, भगवती सूत्र का कथन है भगवान महावीर का शासन 21 हजार वर्षों तक चलेगा। वह भी किसी बोझ तले नहीं, सूर्य की तरह चमकता हुआ। जिन शासन के हुरजी ऋषि की शाखा साधुमार्गी परंपरा है।
शुक्रवार को मधु सुराना ने तेला व्रत का संकल्प ग्रहण किया।
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