अलर्ट! कहीं आप तो नहीं खा रहे ये मछली! हो सकता है कैंसर, किसान भी रहें सावधान…

मछली का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है, पर यह खबर आपको सावधान करने के लिए है. क्योंकि राजधानी रांची समेत राज्य के मछली बाजारों में मांगुर मछली की बिक्री बेरोक टोक जारी है. थाईलैंड की प्रजाति होने के कारण इसे थाई मांगुर कहा जाता है. डॉक्टर मानते हैं कि मांगुर मछली खाने से कैंसर हो सकता है. मछली पर बैन होने के बावजूद यह खुलेआम बाजार में बेची जा रही है. राजधानी के शालीमार स्थित थोक मछली बाजार में यह मछली जिंदा बेची जाती है. दुकानदार हाइब्रिड मांगुर को देसी मांगुर या बॉयलर मांगुर बता कर बाजार में बेच रहे हैं. जबकि रांची में समेत पूरे राज्य में इसकी बिक्री पर बैन लगा हुआ है.

गौलतरब है कि भारत सरकार में साल 2000 में ही थाई मांगुर नामक मछली के पालन और बिक्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसकी बेखौफ बिक्री जारी है. इस मछली के सेवन से घातक बीमारी हो सकती है. इसे कैंसर का वाहक भी कहां जाता है. ये मछली मांसाहारी होती है, इसका पालन करने से स्थानीय मछलियों को भी क्षति पहुंचती है. साथ ही जलीय पर्यावरण और जन स्वास्थ्य को खतरे की संभावना भी रहती है.

थाई मांगुर खाने के नुकसान

थाईलैंड की थाई मांगुर मछली के मांस में 80 प्रतिशत लेड और आयरन की मात्रा होती है.  इसलिए इसका सेवन करने से कई प्रकार की  इस मछली को खाने से लोगों में गंभीर बीमारी हो सकती है. बता दे की  मांगुर मछली मांसाहारी मछली है, यह मांस को बड़े चाव से खाती है. सड़ा हुआ मांस खाने के कारण इन मछलियों के शरीर की वृद्धि एवं विकास बहुत तेजी से होता है. यह कारण है क्य  ह मछलियां तीन माह में दो से 10 किलोग्राम वजन की हो जाती हैं. इन मछलियों के अंदर घातक हेवी मेटल्स जिसमें आरसेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड अधिक पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है. थाई मांगुर के द्वारा प्रमुख रूप से गंभीर बीमारियां, जिसमें हृदय संबंधी बीमारी के साथ न्यूरोलॉजिकल, यूरोलॉजिकल, लीवर की समस्या, पेट एवं प्रजनन संबंधी बीमारियां और कैंसर जैसी घातक बीमारी अधिक हो रही है.

थाई मागुर पर्यावरण के लिए घातक

थाईलैंड में विकसित थाई मांगुर पूरी तरह से मांसाहारी मछली है. इसकी विशेषता यह है कि यह किसी भी पानी (दूषित पानी) में तेजी से बढ़ती है, जहां अन्य मछलियां पानी में ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, लेकिन यह जीवित रहती है. थाई मांगुर छोटी मछलियों समेत यह कई अन्य जलीय कीड़े-मकोड़ों को खा जाती है. इससे तालाब का पर्यावरण भी खराब हो जाता है. पिछले दिनों धनबाद के मैथन में पुलिस ने चार टन प्रतिबंधित थाई मछली को जब्त किया था. इसके बाद भी रोजाना प्रदेश में थाई मछली का खेप पहुंच रहा है.

इन मछलियों की बिक्री पर है रोक

भारत में थाई मांगुर, बिग हेड और पाकु विदेशी नक्सल की हिंसक मांसाहारी मछलियों की बिक्री पर रोक लगी हुई है. उनका भारत में अवैध तरीके से प्रवेश हुआ है. भारत सरकार ने 2020 में इन तीनों प्रजाति की मछलियों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और केरल उच्च न्यायालय, ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा थाई मांगुर के पालन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है.

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