रायगढ़ 17 नवम्बर (वेदांत समाचार)। जिले में इन दिनों उद्योगों के क्षमता विस्तार व नए प्लांट को लेकर लगातार जन सुनवाइयां आयोजित की जा रही है और वह भी ऐसे क्षेत्र में जहां प्रदूषण के लिहाज से बेहद सम्वेदनशील है। जिन क्षेत्रों में नए उद्योग और पुराने उद्योग के क्षमता विस्तार पर रोक लगी हुई है। पर्यावरण अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में किसी भी तरह से उद्योग स्थापना व विस्तार की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
15 दिसम्बर को चिराई पानी लाखा स्थित सुनील इस्पात एंड पावर में क्षमता विस्तार व कुछ नए प्लांट की स्थापना के लिए बंजारी मंदिर के पास मैदान में जन सुनवाई तय किया गया है। यह जन सुनवाई पर्यावरण संरक्षण मण्डल के अधिकारियों की मौन स्वीकृति के बाद होने जा रहा है जैसा कि अब तक हुवा है। पर्यावरण प्रदूषण के लिहाज से क्षेत्र में नए व क्षमता विस्तार को लेकर प्रतिबंधित किया गया था और यह भी की जब तक प्रदूषण पर दुबारा अध्ययन नही हो जाता पुराने के क्षमता विस्तार व नए उद्योग नहीं लगाए जा सकते। दरअसल शासकीय विभाग के अमला इसे बिलकुल भी गंभीरता से नही लेता उसे सिर्फ अपनी खानापूर्ति व कागजी कार्रवाई में मशगूल रहते है प्रदूषण के लिहाज से पर्यावरण संरक्षण मण्डल द्वारा अपनी ओर से आपत्ति दर्ज करानी चाहिए और अपनी टीप में पर्यावरण अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार नए व पुराने के क्षमता विस्तार की अनुमति नही दी जा सकती है, लेकिन इस तरह की टीप वे कर नहीं सकते क्योंकि उन्हें न तो प्रदूषण की चिंता है और न ही जिले वासियों के स्वास्थ्य की फिक्र है। जिले में एनजीटी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण खतरनाक है इस लिहाज से पर्यावरण संरक्षण मण्डल द्वारा आपत्ति न जताना कई तरह के सन्देह को जन्म देता है।
इसे लेकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम करने वाले पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल का विरोध करते हुए कहा कि आखिरी जिले में और कितनी जनसुनवाई होगी।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने कहा की प्रदूषण फैलाने के लिए क्या रायगढ़ ही मिला है क्या यहां मनुष्य नहीं रहते। क्या रायगढ़ जिले में संविधान के नियमों का पालन हो रहा है? क्या स्वच्छता से जीने का अधिकार रायगढ़ जिले में आम नागरिक का खत्म हो जाएगा आखिर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल आखिर क्या चाहता है जिले को पूरी तरह से खतरनाक प्रदूषण में झोंक देना चाहती है। इनके द्वारा अपनी तरफ से इस क्षेत्र में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर होने का हवाला देकर आम जनता का दिल क्यों नहीं जीतने की कोशिश करते। पर्यावरण संरक्षण मंडल का नाम बदलकर छत्तीसगढ़ प्रदूषण मंडल क्यों न रख दिया जावे । पर्यवरण प्रदूषण नहीं होने की बात कहते हैं । अगर उद्योगपति सच बोल रहे हैं तो आइए एक बार रायगढ़ से पूंजीपथरा तक मोटरसाइकिल में मेरे साथ चलें सफेद कपड़े पहन कर तब पता चल जाएगा कि प्रदूषण है कि नहीं ?
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