वैक्सीनेशन के दौरान गायब रहने वाले डॉक्टरों पर एक्शन, स्वास्थ्य विभाग ने रोकी सैलरी इंक्रीमेंट..

17 नवंबर (वेदांत समाचार)। बिहार में सरकार वैक्सीनेशन के लिए गंभीर है. सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो जिससे लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बच सकें. सरकार के इस महा अभियान में स्वास्थ्य विभाग का पूरा सहयोग मिल रहा है. डॉक्टर, नर्स और दूसरे स्वास्थ्य कर्मी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी दे रहे हैं. लेकिन कुछ ऐसे डॉक्टर भी हैं जो अपनी काम में लापरवाही बरत रहे हैं.

इसके बाद महाभियान के दौरान ड्यूटी से गायब रहने वाले डॉक्टरों पर सरकार की गाज गिरी है. बताया जा रहा है कि बिहार में 18 अक्टूबर को आयोजित टीकाकरण महाअभियान के दौरान अनुपस्थित रहे राज्य के 65 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों के एक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है. इनमें से कुछ शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी भी हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इन डॉक्टरों के लिए चेतावनी भी जारी की गई है.

ड्यूटी से गायब थे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

बतया जा रहा है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अनुपस्थित रहने की रिपोर्ट राज्य स्वास्थ्य समिति ने टीकाकरण ने स्वास्थ्य विभाग को भेजी थी
और रिपोर्ट में कहा था बिहार में 18 अक्टूबर को कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए आयोजित टीकाकरण के महाअभियान के दौरान ये डॉक्टर ड्यूटी से गायब पाए गए थे जिसके बाद विभाग ने इनसे 48 घंटे के अंदर इसपर स्प्ष्टीकरण मांगा था.लेकिन इन्होंने इस तय समय के अंदर जवाब नहीं दिया.इसके बाद इनपर कोविड काल में काम में लापरवाही बरतने और बिना किसी सूचना के डयूटी से गायब रहने के आरोप में बिहार सरकारी सेवक नियमावली के नियम 14 के अधीन वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई है.

बिना सेंपल दिए आ रहे हैं रिपोर्ट नेगेटिव

एक तरफ जहां टीकाकरण के दौरान डॉक्टर के गायब रहने का मामला सामने आया है वहीं पटना में बिना कोरोना सेंपल दिए मोबाइल पर नेगेटिव रिपोर्ट के मैसेज आ रहे हैं. बता दें कि बिहार में कोरोना का खतरा अभी पूरी तरह ख्तम नहीं हुआ है. यही वजह कि सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच कराना चाहती है. इसके लिए पटना रेलवे स्टेशन समेत राज्य के दूसरेरेलवे स्टेशन पर जांच केन्द्र बनाया गया है.

आरोप है कि स्टेशनों पर आने वालों की बिना जांच किए ही मोबाइल नंबर व नाम दर्ज कर लिए जा रहे हैं. फिर अगले दिन मैसेज आ जा रहा है कि आपका कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया था वो नेगेटिव पाया गया है. बिना जाच किए जहां मैसेज भेजकर खानापूर्ति की जा रही है, वहीं एंटीजन जांच किट की भी कालाबजारी की बात सामने आ रही है. खुले बाजार में एक एंटीजन किट की कीमत 250 रूपए है. स्वास्थ्य विभाग शिकायत मिलने पर जांच की बात कह रही है

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