लखन गोस्वामी
करतला ,17 नवम्बर (वेदांत समाचार)। राज्य सरकार दोनों हाथों से योजनाओं के लिए पैसा जारी कर रही है लेकिन वन विभाग के अधिकारी फण्ड का रोना रो रहे हैं। कोरबा वन मंडल में फण्ड का अभाव है, इसलिए वन मंडल के अधीनस्थ करतला वन परिक्षेत्र के अंतर्गत कार्यरत मजदूरों और समितियों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। मजदूरों को रटा-रटाया जवाब देकर महीनों से खाली हाथ वापस लौटाया जा रहा है जिससे सरकार के नेक इरादे कहीं न कहीं प्रभावित हो रहे हैं।
करतला वन परिक्षेत्र के अंतर्गत कोटमेर समिति के ग्राम पीड़िया और तुर्रीकटरा जंगल के बीच घुरीपाट जंगल के पास नेपियर घास लगाया गया। हाथी प्रभावित क्षेत्र में नेपियर घास जुलाई 2020 से लगाना प्रारंभ हुआ जिसमें काम करने वाले मजदूरों का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। नेपियर घास की देखरेख के लिए 10 लोगों का समूह बनाया गया है जिसमें काम करने वालों को भी प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं किया गया है। नेपियर घास की देखरेख के लिए गठित समूह द्वारा जंगल छंटाई, पौधा-रोपण एवं सीपीटी खोदाई किया गया जिसका भी भुगतान नहीं हुआ है। 10 महीने के काम की मजदूरी लंबित है। वन विभाग द्वारा नेपियर घास की सिंचाई के लिए लाखों का बोर खोदाई किया गया जिसमें अब तक न तो मोटर की व्यवस्था हुई है और न ही सौर ऊर्जा की सुविधा स्थापित की गई है। भटक रहे मजदूरों ने बताया कि समूह के सदस्यों को प्रोत्साहन राशि हर महीने 8 हजार रुपए मिलना था किन्तु न तो सामूहिक खाता खोला गया और न ही पैसा मिला। गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी की गई जिसका भी भुगतान नहीं किया गया है। वन अधिकारियों से बार-बार मजदूरी भुगतान मांगा जाता है किन्तु फण्ड में पैसा नहीं होना कहकर खाली हाथ लौटा दिया जाता है। मजदूरी करने वाले अमृत लाल, रोशन सिंह, देव नारायण, कीर्ति सिंह, जयपाल, होलाल, परदेशी, तीजराम, महेत्तर, हिंगलाज, रायसिंह, गतूराम, विजय, मूरित राम, नेहरू लाल, दोलिया बाई, सनिरो बाई, प्रभा बाई, आधिनो बाई, मोहन लाल, रतन सिंह, सुभाष, जोल सिंह, रामधन सिंह, नवधा सिंह ने कलेक्टर को आवेदन सौंपकर मजदूरी भुगतान की गुहार लगाई है।
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