कोरबा 17 नवम्बर (वेदांत समाचार)। रेडी टू ईट निर्माण प्रदाय हेतु महिला स्व सहायता समूहों की चयन हेतु जारी अनंतिम वरीयता सूची में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है ।पर्यवेक्षकों द्वारा किए गए भौतिक सत्यापन एवं प्राप्त अभिलेखों के विपरीत परियोजना अधिकारी द्वारा ग्रेडिंग तैयार कर अधिक अंक देकर अपात्र समूहों को वरीयता दे दी गई । जबकि पात्र समूह बाहर कर दिए गए। पात्र समूहों ने इसकी कलेक्टर से शिकायत कर उचित कार्रवाई की मांग की है।
यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के नोनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। पिछले सवा साल से 5 वर्ष की अनुबंध अवधि स्व सहायता समूहों का समाप्त हो चुका है। लिहाजा कलेक्टर रानु साहू के निर्देशानुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने नए अनुबंध की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। आवेदन लेने के बाद स्क्रूटनी , भौतिक सत्यापन उपरांत रेडी टू ईट निर्माण प्रदाय हेतु महिला स्व सहायता समूहों की चयन हेतु अनंतिम वरीयता सूची जारी कर दी गई है। जिसमें बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है। हरदीबाजार परियोजना के चोढा एवं उतरदा सेक्टर में पात्र समूहों को बाहर कर दिया गया है। चोढ़ा सेक्टर में पूर्व से कार्यरत मापदंड अनुरूप समस्त संसाधन युक्त जागृति स्व शांति स्व सहायता समूह की जगह नव आवेदनकर्ता शांति स्व सहायता समूह को वरीयता दे दी गई है। शांति स्व सहायता समूह को जहां कुल ए प्लस श्रेणी में रखकर 95 अंक दिए गए हैं वहीं जागृति स्व सहायता समूह को 88 अंक के साथ नीचे धकेल दिया गया है। शान्ति स्व सहायता समूह का चयन करने उसे उपलब्ध भौतिक संसाधनों के आधार पर 33 अंक दिए गए ,जबकि जागृति स्व सहायता समूह को 26 अंक ही दिए गए। शान्ति स्व सहायता समूह द्वारा एक ही कमरा दिखाया गया जिसका भौतिक सत्यापन कर दिया गया है । समूह के पास न तो पैकिंग के लिए उपयुक्त स्थल है न ही हॉलर मिल व पलवाईजर मशीन के लिए पर्याप्त भवन। यही नहीं समूह के नाम थ्री फेस कनेक्शन तक नहीं है।विद्युत विभाग ने शांति स्व सहायता समूह की शिकायत पर इसकी पुष्टि तक कर दी।यही नहीं यहां की सहायिका समूह की सदस्य है। लिहाजा महिला एवं बाल विकास विभाग के नियमानुसार यह समूह अपात्र माना जाना चाहिए। इस तरह शांति स्व सहायता समूह ने झूठा शपथ पत्र देकर विभाग व शासन को धोखे में रखकर समूह चयन में वरीयता प्राप्त की । इससे स्पष्ट होता है कि एक तरफ तमाम आवश्यक संसाधनों के साथ योजना का संचालन करने वाले पात्र समूह को बाहर करने अपात्र समूह का फर्जी भौतिक सत्यापन कर संसाधन उपलब्ध नहीं होने के बाद भी अनुचित तरीके से अंक प्रदान कर वरीयता दे दी गई। पीड़ित पात्र समूह ने कलेक्टर से इसकी शिकायत कर फर्जी भौतिक सत्यापन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग के साथ न्याय की गुहार लगाई है।
उतरदा में पात्र समूह का नाम ही लिस्ट से गायब
इसी तरह उतरदा सेक्टर में भी समूह चयन के नाम पर बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। पात्र बेटी स्व सहायता समूह का नाम आवेदन करने के बाद भी सूची से गायब है। जिससे पूर्व से योजना का संचालन कर रहे समूह के सदस्य हैरान हैं । परियोजना अधिकारी की मनमानी से पात्र समूह बाहर हो गए ,जबकि विधिवत उनका भी पर्यवेक्षकों ने सत्यापन कर अभिलेख परियोजना कार्यालय में जमा किया था।
कलेक्टर को थामनी होगी कमान ,जिला हो रहा बदनाम
रेडी टू ईट समूह चयन की कमान स्वयं कलेक्टर को अपने हाथों में थामनी होगी। विभाग के भरोसे फजीहत तय दिख रही।वैसे जिला अधिकारियों से ज्यादा इस पूरे प्रकरण में परियोजना अधिकारियों का खेल है ,जिन्होंने अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं किया। वैसे भी पड़ोसी जिला जांजगीर में भी रेडी टू ईट प्रदाय हेतु समूह चयन में गड़बड़ी की शिकायतें शासन स्तर तक पहुंच गई थी। राज्य से पूरी टीम जांच के लिए आ गई थी। पूरी प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी। विभाग की खूब फजीहत हुई थी।
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