16 नवंबर (वेदांत समाचार)। भारत को आखिरकार संवैधानिक कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपना पहला खुले तौर पर समलैंगिक जज मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने केंद्र सरकार की प्रस्तावित पदोन्नति के खिलाफ प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज करते हुए सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 11 नवंबर, 2021 को हुई अपनी बैठक में अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सोमवार को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए कॉलेजियम के प्रस्ताव में यह जानकारी दी गई.
समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले केस के रहे वकील
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 49 वर्षीय कृपाल को चुना. कृपाल उन वकीलों में से एक है जिन्होंने ऐतिहासिक नवतेज सिंह जौहर केस लड़ा था. जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया
कृपाल सबसे प्रतिभाशाली वकीलों में से एक: मुकुल रोहतगी
पूर्व अटॉर्नी जनरल और वयोवृद्ध वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कृपाल की पदोन्नति लंबे समय से लंबित थी, और सोमवार का दिन भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाली धारा) के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की वास्तविक मान्यता का दिन बना दिया. रोहतगी ने कहा कि “कृपाल सबसे प्रतिभाशाली वकीलों में से एक हैं और मुझे उनकी बुद्धि और कड़ी मेहनत का व्यक्तिगत अनुभव है. मैं कहूंगा ‘देर आए दुरस्त आए’.
अक्टूबर 2017 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने सर्वसम्मति से कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की. हालांकि, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी को कृपाल की पृष्ठभूमि की जांच करने का काम सौंपा गया था. 2018 और 2019 में एक प्रतिकूल रिपोर्ट में कहा गया था कि कृपाल का साथी, जो एक विदेशी नागरिक है, सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है.
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