सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तिरुमला के तिरुपति बालाजी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना की विधि और अनियमितताओं को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक न्यायालय किसी मंदिर के दैनिक कार्यों की जांच नहीं कर सकता. यह याचिका आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट को चुनौती देते हुए दाखिल की गई थी. जिसमें मंदिर के उत्सव के समय पूजा विधि को लेकर सवाल उठाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ऐसे मामलों में कैसे हस्तक्षेप कर सकता है कि रीति-रिवाज कैसे चलाए जाएंगे. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मंदिर के दैनिक मामलों में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है, इस पर कोई संवैधानिक न्यायालय गौर नहीं कर सकती. चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमणा ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि पब्लिसिटी के लिए इस तरह की याचिका दाखिल की गई है. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को एक रिट याचिका में तय नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा के अलावा अगर प्रशासन नियमों की अनदेखी कर रहा है या किसी अन्य व्यवस्था का उल्लंघन कर रहा है तो उस मामले में कोर्ट देवस्थानम बोर्ड से स्पष्ट करने के लिए कह सकते हैं. इसके अलावा सेवा में हस्तक्षेप करना संभव नहीं होगा. दरअसल एक श्रद्धालु ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बालाजी मंदिर (वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर) परिसर में अव्यवस्था, मंदिर के उत्सव के समय पूजा विधि को लेकर भी सवाल उठाए थे और आपत्ति जताई थी. आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है. ये प्राचीन मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी जिसे वेंकटचला के नाम से जाना जाता है, पर स्थित है.
[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]
[metaslider id="347522"]