राजस्थान 14 नवंबर (वेदांत समाचार)। जोधपुर जिले में आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां में बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए है. वहीं, बीते हफ्ते से अब तक जिले के कापरड़ा गांव के तालाब में 189 कुरजां की जान जा चुकी है. जहां मरने वाले कुरजां के सैंपल को भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डीजीज इंडियन वेटेरीनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट भेज दिया गया था, जहां से आई रिपोर्ट में ये एवीयन इंफ्लुएंजा वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. इसके बाद DM ने अधिकारियों की बैठक ले बर्ड फ्लू से निपटने को सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि कुरजां पक्षी साइबेरिया एवं मंगोलिया से हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर शीतकालीन प्रवास पर राजस्थान आते हैं.
दरअसल, जोधपुर जिलो को डीएफओ रमेश कुमार मालपानी ने बताया कि बीते 6 नवंबर को पहली बार प्रवासी पक्षी के शव मिलने की सूचना मिली थी, जिस पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पोस्टमार्टम करवाने के बाद सैंपल भोपाल भेज दिया. वहां से आई रिपोर्ट के अनुसार, कापरड़ा में पाए गए मृत कुरजां पक्षी संक्रमित पाए गए हैं. इसके बाद अब केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत मृत पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जा रहा है.
कपार्डा, बिलारा में 56 पक्षियों की हुई मौत
पशुपालन विभाग ने कुछ जगहों से पक्षियों की बीट के नमूने लिए
गौरतलब है कि जनवरी, 2021 में प्रदेश के 33 में से 15 जिलों में बर्ड फ्लू का प्रकोप फैला था. इस दौरान प्रदेश में 16 दिन में कुल 3321 पक्षियों की मौत हुई थी. इनमें से सबसे ज्यादा 2551 कौए,189 मोर,190 कबूतर और 391 अन्य पक्षी शामिल हैं. वहीं, 57 पक्षियों के सैंपल पाजिटिव मिले थे और 371 पक्षी मृत मिले थे. उधर, जयपुर के चिड़ियाघर में पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया है. यहां 4 पक्षियों के मृत पाए जाने के बाद से प्रशासन ने यह कदम उठाया है. यहां तीन कामन डक और एक ब्लाक स्टार्क मृत अवस्था में मिले हैं.
पक्षियों की मौत के मामले की जिम्मेदारी पशुधन विकास बोर्ड को सौंपी
बता दें कि पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए सैंपल भोपाल स्थित लैब में जांच के लिए भेजे गए है. इसके साथ ही चिड़ियाघर में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया गया है. हालांकि प्रदेश में अब तक सबसे ज्यादा 508 पक्षियों की मौत जयपुर में हुई है. पशुपालन विभाग ने प्रदेश में हो रही पक्षियों की मौत के मामले की जिम्मेदारी पशुधन विकास बोर्ड के निदेशक भवानी सिंह राठौड़ को सौंपी है.
साइबेरिया एवं मंगोलिया से लंबा सफर तय कर कुरजां आती है राजस्थान
वहीं, प्रदेश में इस समय जैसलमेर एवं जोधपुर एवं पाली सहित कुछ जिलों में अलग अलग स्थानों पर हजारों कुरजां ने डेरा डाल रखा है. साइबेरिया एवं मंगोलिया से लंबा सफर तय कर हर साल सर्दी के मौसम में कुरजां राजस्थान आती है और सर्दी के बाद मार्च महीने के आखिरी में वापसी की उड़न भरने लग जाती है.
[metaslider id="347522"]