भूविस्थापितों का साथ और सपुरन का निष्कासन, माकपा का निणर्य चौंकाने वाला…

कोरबा 14 नवंबर (वेदांत समाचार)। ऊर्जाधानी के श्रमिक जगत में एक चौंकाने वाली खबर है कि माकपा के पूर्व जिला सचिव और राज्य समिति सदस्य सपुरन कुलदीप को निष्काषित कर दिया गया है। पहले किया गया निलम्बन वापस लेने के कुछ माह बाद निष्कासन की यह कार्यवाही उनके द्वारा भूविस्थापितों को एकजुट कर किए जा रहे आंदोलन के कारण होना बताया जा रहा है।

श्रम जगत से जुड़े जानकारों का मानना है कि भूविस्थापितों का आंदोलन मजबूत होने से यहां के ठेका कंपनियों को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है क्योंकि भूविस्थापित रोजगार, मुआवजा और वैकल्पिक रोजगार के साथ ठेका के कामों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि सपुरन कुलदीप की अगुवाई में रेलवे (इंटरसिटी) आंदोलन , अवैध शराब के खिलाफ, कोयलांचल की सड़कों , बिजली, पानी, ठेका कंपनी में 8 घण्टे का काम, पीएफ, मेडिकल आई कार्ड बैंक पेमेंट जैसी मांगों ने न सिर्फ जोर पकड़ा बल्कि सफलता के साथ ही जिले में नए-नए तरीकों से आंदोलन के कारण हमेशा चर्चित भी रहे। श्रमिक जगत और आम जनता के बीच बेदाग छवि वाले सपूरन कुलदीप को पहले निलंबित किया गया जो चौकाने वाला था। तब उन्हें भूविस्थापितों ने हाथों-हाथ लिया। दूसरे संगठनों ने हाथ भी बढ़ाया पर माकपा के प्रति उनकी निष्ठा डिगी नहीं। उन्होंने निलंबन के खिलाफ केंद्रीय पार्टी में अपील किया था उसके बाद निलंबन वापस हुआ था।

बता दें कि जून 2020 को सराईपाली खदान में 20 % आरक्षण की मांग पर कुलदीप जी के नेतृत्व में 5 महीने तक तालाबंदी किया था। इसी आंदोलन के तत्काल बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस उपरांत निलंबन हुआ। निलंबन का कारण भुविस्थापित सन्गठन को पुनर्जीवित करना बताया गया। जो इस बात को पुष्ट करती है कि उनके खिलाफ कोई साजिश चल रही है जबकि भूविस्थापितों के हक की लड़ाई माकपा भी लड़ती आ रही है और इससे पृथक कोई संगठन नहीं खड़ा किया गया राजनैतिक गलियारे और मीडिया जगत में लोग यही मानते रहे है कि भूविस्थापितों का आंदोलन माकपा के अंदरूनी सहयोग से चलाया जा रहा है । सही तस्वीर सामने आने पर जब निलम्बन वापस हुआ तो अब उन पर आर्थिक मामले में गंभीर अनियमितता का आरोप लगाकर निष्काषित किया गया।

माकपा सूत्रों के ही मुताबिक एक निजी कंपनी के खिलाफ किया गया आंदोलन और राजनीतिक पोल खोल अभियान को गलत तरीके से कुछ जयचंदों के द्वारा पेश कर, गुमराह कर निष्कासन करा दिया गया। खास रहा है कि इससे इस निजी कंपनी और असंतोषियों के मंसूबे पूरे हुए हैं।

माकपा की जड़ों को मजबूत किया, राजनीतिक पहचान दी

सपुरन कुलदीप ने अपने छात्र जीवन से वामपंथ विचारधारा को अपनाया। 1990 के दशक से माकपा के छात्र सन्गठन एसएफआई के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद इन्हें प्रदेश की कमान दी गयी थी। 2003 में केंद्रीय कमेटी में चुने गए और इसी दौरान जिले में सहायक जिला सचिव के प्रमुख पद की जिम्मेदारी निभाई । 2010 में उन्हें पार्टी जिला सचिव और राज्य कमेटी में चुना गया। नौजवान सभा , महिला समिति, किसान सभा और ठेका कामगारों के संगठनों के माध्यम से लोंगो खासकर प्रभावित जनता और भू विस्थापितों की लड़ाई को आगे बढाया। वर्ष 2015 से भूविस्थापतो के संघर्ष को तेज कर एक अलग पहचान माकपा की दिलाया। इसका नतीजा रहा कि पिछले 10 सालों में माकपा की राजनीतिक पहचान जिले में बनी और दो पार्षद भी निर्वाचित होकर नगर पालिक निगम में पहुंचे हैं ।

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