कुत्तों का आतंक, अब गाय भी हो रही रैबीज का शिकार..

बिलासपुर12 नवंबर (वेदांत समाचार) कुत्तों की संख्या बढ़ने का असर इंसानों पर ही नहीं पड़ रहा है बल्कि इसके कारण बड़ी संख्या में गाय भी रैबीज का शिकार हो रही है। बीते गुरुवार को ही गोंड़पारा क्षेत्र से एक रैबीज से पीड़ित गाय को मोपका गोठान शिफ्ट किया गया है। जिसे कुछ दिनों पहले कुत्ते के झुंड ने काट लिया था। इसके बाद गाय में रैबीज का असर देखने लगा और लोगों पर हमला करने लगी। बीते एक साल के भीतर दर्जनों गाय कुत्तों के काटने की वजह से रैबीज से ग्रसित होकर असमय मौत का शिकार हो चुकी है।

जिले में कोरोना काल के पहले नगर निगम के मुताबिक शहरी क्षेत्र में 5800 कुत्ते रहे। कोरोना काल में इनके जनंसख्या नियंत्रण पर रोक लग गया और डेढ़ साल के भीतर में इनकी संख्या बढ़कर 7800 से अधिक हो चुकी है। ऐसे में कुत्ते के काटने के मामले बढ़ चुके हैं। शहरी क्षेत्र में हर दिन कम से कम 15 से 20 मामले सिम्स व जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिन्हें उपचार मिल रहा है।

वहीं कुत्ते अपना दूसरा शिकार गाय को बना रहे हैं। चोटग्रस्त गाय और उनके बच्चें इन कुत्तों के आतंक से नहीं बच पा रहे हैं, ऐसी गाय को एक साथ कई कुत्ते काट रहे हैं। वहीं उपचार के अभाव ये गाय आसानी से रैबीज का शिकार हो जा रहे हैं। ताजा मामला बीते गुरुवार को गोंड़पारा क्षेत्र में हुआ है।

कुत्ते के काटने के कुछ दिनों बाद ही रैबीज का शिकार होने के बाद गाय उग्र हो गई है और आने जाने वालों के ऊपर हमला कर रही है। जिसकी जानकारी निगम प्रबन्धन को दी गई। जांच में गाय के रैबीज से संक्रमित होने की पुष्टि करते हुए उसे मोपका गोठान में रखा गया है।

उग्र हो चुके हैं कुत्ते, गाय आसान शिकार

ब्रीडिंग सीजन होने की वजह से कुत्ते कुछ ज्यादा ही उग्र हो गए हैं। जो इंसानों को तो काट रहे हैं। इसके अलावा मवेशियों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। खासतौर से गाय सीधी व शांत होने की वजह से इनका आसान शिकार बन रहे हैं। जरा से घायल दशा में गाय के मिलने पर कुत्तों का पूरा झुंड का झुंड हमला कर दे रहा है। ऐसे में समय पर इलाज न मिलने पर इनका रैबीज से संक्रमित होना तय हो जा रहा है।

हर साल 50 से 60 गाय रैबीज से पीड़ित

पशु चिकित्सालय के मुताबिक इलाज के लिए पहुचने वाले गाय में हर साल 50 से 60 मामले में रैबीज की पुष्टि होती है। ये मामले है जो अस्पताल पहुचे है, इससे कही ज्यादा मामले तो अस्पताल ही नहीं पहुचते है। ऐसे में आंकलन है कि जिले स्तर पर बड़े पैमाने में गाय रैबीज का शिकार होकर असमय मौत का सामना कर रहे हैं।