Kartik Purnima 2021 : इस दिन क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि !

दीपावली के ठीक 15 दिनों बाद कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) होती है. इस दिन को देव दीपावली (Dev Deepawali) या देव दिवाली (Dev Diwali) कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर आकर दिवाली का पर्व मनाते हैं. काशी में और गंगा घाटों पर इस पर्व का विशेष उत्सव देखने को मिलता है. इस बार देव दिवाली 18 नवंबर को गुरुवार के दिन मनाई जाएगी.

इस दिन भगवान विष्णु का विशेष रूप से पूजन किया जाता है, साथ ही तुलसी विवाह के उत्सव का भी समापन होता है. मान्यता है कि इस दिन देवता जागृत होते हैं, ऐसे में यदि नदी में दीपदान किया जाए तो व्यक्ति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है. वहीं तुलसी पूजन करने से उसके कष्ट दूर होते हैं और सौभाग्य व समृद्धि आती है. जानिए क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि की पूरी जानकारी.

इस​लिए मनाते हैं देव दीपावली

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार त्रिपुरासुर राक्षस ने अपने आतंक से पूरी धरती और स्वर्ग लोक में सभी को त्रस्त कर दिया था. देवता और ऋषि मुनि भी उसके आतंक से त्रस्त थे. एक दिन परेशान होकर सभी देवगण भगवान शिव से सहायता मांगने गए और उनसे राक्षस का अंत करने की प्रार्थना की. इसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया. राक्षस के अंत की खुशी में सभी देवता प्रसन्न होकर भोलेनाथ की नगरी काशी में पधारे. इस दौरान उन्होंने काशी में तमाम दीए जलाकर खुशियां मनाई. जिस दिन ये हुआ, उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि थी. तब से आज तक कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में बड़े रूप में देव दीपावली मनाई जाती है.

ये है शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि शुरू : 18 नवंबर, गुरुवार को दोपहर 12 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त : 19 नवंबर, शुक्रवार को दोपहर 02:26 मिनट तक

प्रदोष काल मुहूर्त : 18 नवंबर शाम 05:09 से 07:47 मिनट तक

पूजा विधि

देव दीपावली के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है. अगर आप गंगा नदी के तट पर स्नान के लिए नहीं कर सकते तो एक बाल्टी या टब में थोड़ा गंगाजल डालकर उसमें सामान्य पानी मिलाकर स्नान कर सकते हैं. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. इसके बाद गणपति, महादेव और नारायण का ध्यान करें. उन्हें रोली, चंदन, हल्दी, पुष्प, अक्षत, नैवेद्य, धूप और दीप आदि अर्पित करें. शिव मंत्र और विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें. शिव चालीसा पढ़ें, गीता का पाठ करें या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. शाम के समय किसी नदी में दीप को प्रवाहित करें. अगर ऐसा नहीं कर सकते तो किसी मंदिर में दीपक जलाकर रखें. इसके अलावा अपने घर में और पूजा के स्थान पर भी 5, 7, 11, 21 या 51 दीपक जलाएं.

इन शुभ घटनाओं का भी दिन है कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ अन्य शुभ घटनाएं घटी थीं, जिससे इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया. माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने सतयुग में मत्स्य अवतार लिया था. द्वापरयुग में भी कृष्ण को आत्मबोध भी इसी दिन हुआ था. ये भी कहा जाता है कि इसी दिन देवी तुलसीजी का प्राकट्य हुआ था.

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