आदिवासी अंचल कि बेटी …..,गरीबी में भी प्रतिभा उभर कर आई


के .सोना,कोरबा 9 नवम्बर (वेदांत समाचार)। बस्तर संभाग के आदिवासी अंचल से आयी बालिका प्रतियोगी कुमारी उर्मिला पोट्टई ने 14 वर्ष के नीचे आयु वर्ग में रजत पदक जीतकर अपनेक्षेत्र का नाम बढ़ाया , अत्यंत ही ग़रीब परिवार से आने वाली ये आदिवासी बालिका नारायणपुर से 10 किलोमीटर दूर जंगल में रहती ह। माता माता पिता दो बहिन एवं एक भाई के साथ रहने वाली उर्मिला जंगल जाकर लकड़ी, पत्ता, कंदमूल, चार, महुआ जमाकर बाजार में बेचकर परिवार का जीवन यापन करते है ,वर्तमान में छात्रावास में रह कर पढ़ाई कर रही है एक बहिन 12 वी में भाई पाँचवी में छात्रावास में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं, मझली बहिन ग़रीबी के कारण घर में रह कर माता पिता के साथ जिनके पास थोड़ी बहुत किसानी है खेती है अब वह जंगली उत्पादों का संग्रहण करती है और परिवार चलाती हैं। मुख्य रूप से इनका भोजन चावल है ये चावल के साथ कंदमूल भाजी , चटनी , खाकर जीवन यापन करते है। शारीरिक रूप से मज़बूत इस आदिवासी लड़की ने बिना किसी विशेष सुविधा के बावजूद रजत पदक प्रदान प्राप्त किया है,इनके कोच बलरामपुरी ने जब इस आदिवासी लड़की उर्मिला की शारीरिक क्षमता को देखा उसे किक बॉक्सिंग के लिए प्रोत्साहित किया गरीब घर की बच्ची जिसके पास खाने को नहीं पहनने को नहीं उसे छात्रावास में रखकर प्रतिभा को निखारा उसे एक स्तर पर पहुंचा दिया अपनी चुस्ती फुर्ती एवं नैसर्गिक शारीरिक क्षमता से और आगे बढ़ने की इसकी संभावना है कोच बलराम बताते हैं इनके पास ऐसे ही 50 आदिवासी बालक बालिकाएं हैं कुछ तो अबूझमाड़ के जंगल के आदिवासी बच्चे भी हैं सभी को वे ट्रेनिंग दे रहे हैं सुविधा ना होने के बाद भी यह बच्चे खेलते हैं और पसीना बहाते हैं खूब मेहनत करते हैं उचित सुविधा विशेष आवश्यक भोजन मिलने से यह निश्चय ही राज्य एवं देश का नाम ऊंचा उठाएंगे इनके पास ना तो खेलने वाला मेड है ना ही आवश्यक खेल सामग्री फिर भी पूरे उत्साह और लगन और पूरब मेहनत करके यह खेल का अभ्यास करते हैं \

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