भोपाल 09 नवंबर (वेदांत समाचार)। हमीदिया अस्पताल में सोमवार रात हुई आगजनी में 05 बच्चों की मौत हो गई। अस्पताल में भर्ती बच्चों के परिजनों को मंगलवार शाम तक अपने नौनिहालों की सही खोज-खबर नहीं मिल पाई। इससे परिजन व्यथित है। कुछ परिजनों ने तो बच्चों की अदला-बदली के भी आरोप लगाए हैं। सोमवार को हमीदिया अस्पताल में महाराष्ट्र से आई सुशीला के बेटे की आग लगने के हादसे में मौत हो गई थी। आज उनके स्वजन हमीदिया अस्पताल परिसर में धरने पर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि जिस बच्चे की उन्हें डेडबॉडी दी जा रही है, वह किसी और का है। इसी तरह अरसी नामक महिला के स्वजन ने आरोप लगाया है कि सात दिन पहले पैदा हुई उनकी बच्ची गायब है। उसे कमला नेहरू अस्पताल में पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया था। सोमवार रात हुई आगजनी की घटना के बाद से उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। इस बारे में अस्पताल का स्टाफ भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। मंगलवार सुबह जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग जब दोबारा अस्पताल पहुंचे तो कई बच्चों के परिजनों ने उनसे ऐसी शिकायत की। हालांकि इस संदर्भ में अस्पताल प्रशासन की ओर से बच्चों का डीएनए टेस्ट कराते हुए पुष्टि करने की बात की जा रही है, लेकिन परिजन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं।
इसी तरह भोपाल के जिंसी चौराहे की रहने वाले रहीश खान की पत्नी शाजमा ने सुल्तानिया जनाना हॉस्पिटल में 11 दिन पहले बेटे को जन्म दिया था। नाम रखा था- समद। बच्चा ऑपरेशन से हुआ था। बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही हमीदिया कैम्पस के कमला नेहरू हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया था। रहीश के मुताबिक सोमवार रात पीडियाट्रिक वार्ड में लगी आग के बाद अब उन्हें बताया जा रहा है कि उनके बच्चे की मौत हो गई है। हादसे के वक्त रहीश की अम्मी यानी बच्चे की दादी वार्ड में मौजूद थी। लेकिन जैसे ही आग लगी, भागो-भागो का शोर गूंजने लगा और उस आपाधापी में रहीश की अम्मी को भी बच्चे के बगैर ही वार्ड से बाहर निकलना पड़ा। जबसे उन्होंने बच्चे की मौत की खबर सुनी है, उनके आंसू थम नहीं रहे हैं। वहीं शाजमा को तो अब तक बच्चे की मौत के बारे में बताया भी नहीं गया है। वह बेचारी तो अपने नवजात शिशु का चेहरा भी नहीं देख पाई।
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