दिल्ली (Delhi) एनसीआर (N.C.R) समेत कई शहरों में वायु प्रदूषण (Air pollution) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. इससे लोगों को खांसी और सांस लेने में तकलीफ (Breathing problem) हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रदूषण से काफी खतरा है. इससे उनको कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है. इसलिए गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को अपना खास ध्यान रखने की जरूरत है.
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के नियोनेटोलॉजी विभाग के डॉक्टर अशोक विश्नकर्मा बताते हैं कि जब कोई गर्भवती महिला प्रदूषित वातावरण में सांस लेती है तो प्रदूषण के कण शरीर में चले जाते हैं. यह प्रदूषित कण गर्भ में पल रहे बच्चे के फेफड़ों के विकास को प्रभावित कर सकता है. प्रीमैच्यौर बर्थ और लेट बर्थ जैसी परेशानी भी हो जाती है. कई मामलों में बच्चा अस्थमा से भी पीड़ित हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं खुद को प्रदूषण से दूर रखें. कुछ दिन के लिए ऐसे स्थान पर चले जाएं जहां प्रदूषण कम हो. अगर ऐसा नहीं हो सकता तो घर में ही रहने की कोशिश करें. बेवजह बाहर न निकलें.
20 फीसदी बढ़ गए मरीज
फोर्टिस अस्पताल की प्लमोनोलॉजी विभाग की डॉक्टर रिचा सरीन ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में अस्पताल की ओपीडी में अस्थमा, एलर्जी और सांस की तकलीफ के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. पहले की तुलना में इन मरीजों में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. मौसम में बदलाव और बढ़ते वायु प्रदूषण से ऐसा हो रहा है. फिलहाल अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. उन्हें अस्थमा का अटैक भी पड़ रहा है. इसके अलावा अधिकतर लोगों में खांसी की समस्या देखी जा रही है. इससे उनकी छाती में संक्रमण होने की आशंका भी बन गई है. जो आगे चलकर ब्रोंकाइटिस बीमारी बन सकती है.
घर के अंदर के प्रदूषण से भी बचना होगा
डॉक्टरों का कहना है कि इस समय घर के अंदर के प्रदूषण से भी बचने की जरूरत है. इसके लिए कमरों में वेंटिलेशन की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए. एयर प्यूरिफायर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. कोशिश करें कि कुछ दिन घर में धूप बत्ती या अन्य ऐसी कोई सामाग्री न जलाएं. घर के अंदर धूम्रपान भी न करें.
ऐसे रखें ध्यान
- सुबह और शाम के समय जब धूप न हो तो टहलने से बचें
- अगर किसी काम से बाहर जाना हो मास्क लगाकर रखें
- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाान खाएं
- गर्म पानी पीएं
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