निजी अस्पतालों पर सुप्रीम कोर्ट की टेढ़ी नजर, मरीजों से मनमानी वसूली को लेकर राज्यों से मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सभी राज्यों से जवाब दाखिल करने को लिखा है, जिसमें कहा गया है कि कोविड 19 के समय मरीजों से मेडिकल बिल और अन्य चार्ज जो ज्यादा लिए गए, उसकी ऑडिट और स्क्रूटनी के लिए कमिटी का गठन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में सभी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।

अस्पतालों के एक्स्ट्रा चार्ज वाले बिल की स्क्रूटनी की मांग

याचिकाकर्ता अभिनव थापर की ओर से लगाई गई है कि इस मामले में उन अस्पतालों के बिल की स्क्रूटनी की जाए जिनके बिल में एक्स्ट्रा चार्ज किए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि कई मरीजों से कोरोना के समय एक्स्ट्रा चार्ज लिए गए। इनमें से कई मरीज की मौत तक हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम मैकेनिज्म सेटअप करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका जनहित याचिका के तौर पर दाखिल की गई और याचिका में विशष तौर पर उल्लेख किया गया है कि कोरोना के समय मरीजों को मेडिकल फैसिलिटी की जरूरत थी। प्राइवेट अस्पतालों में यह सुविधाएं लेने के लिए लोगों की भीड़ थी क्योंकि पब्लिक हेल्थ सुविधाओं का अभाव था और इस दौरान मरीजों से ओवरचार्ज किया गया।

एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्लिनिकल ट्रायल के डाटा को सार्वजनिक करने की गुहार पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिलकर वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सीन के बाद के विपरीत रिएक्शन के डेटा के मामले में पारदर्शिता की गुहार लगाई गई है।

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