सात महीनों की सुस्ती के बाद सी-मार्ट स्थापित करने का निर्देश जारी…

रायपुर 09 नवंबर (वेदांत समाचार)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बजट भाषण में की गई कुछ घोषणाओं पर अमल की कवायद अब शुरू हुई है। सात महीनों की सुस्ती के बाद मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को सभी जिला मुख्यालयों में सी-मार्ट स्थापित करने का निर्देश जारी करने को कहा है। इस मार्ट में गांवों में बनाए गए उत्पादों को बेचा जाएगा।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव को निर्देशित करते हुए कहा है प्रथम चरण में ऐसे सी-मार्ट सभी जिला मुख्यालयों में स्थापित किए जाएं। जिला मुख्यालय अगर नगर निगम है तो वहां यह शोरूम 8 से 10 हजार वर्गफुट जगह पर होगा। जिला मुख्यालय के नगर पालिका होने की स्थिति में इसकी स्थापना 6 से 8 हजार वर्गफुट में की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सी-मार्ट की स्थापना के लिए तुरंत ही काम शुरू करने को कहा है। इसके लिए किसी शासकीय भवन का उपयोग करने का भी निर्देश है। मुख्यमंत्री ने कहा है, जिन स्थानों में यदि उपयुक्त भवन उपलब्ध न हो वहां कलेक्टर, उद्योग विभाग अथवा वन विभाग को अच्छी लोकेशन में आवश्यकतानुसार भूमि आबंटित किया जाए। मुख्यमंत्री ने सी-मार्ट के लिए उपलब्ध भवनों के अपग्रेडेशन अथवा नये भवन के निर्माण हेतु विभिन्न योजनाओं की विभागीय राशि, CSIDC अथवा लघु वनोपज संघ की राशि उपयोग करने को कहा है। सी-मार्ट के निर्माण एवं संचालन हेतु अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होने पर उद्योग विभाग से उपलब्ध कराई जाएगी। बजट घोषणा में कहा गया था, पहला सी-मार्ट रायपुर में खोला जाएगा। इसके बाद सभी संभाग मुख्यालयों में इसकी शुरूआत होगी। प्रदेश के बाहर भी एक सी-मार्ट खोलने की तैयारी थी।

सी-मार्ट में इनकी बिक्री होगी

यहां ढेकी से कूटा हुआ चावल, घानी से निकाला हुआ तेल, कोदो, कुटकी, मक्का से लेकर सभी दलहनी फसलें बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी। यही नहीं, इमली, महुआ, हर्रा, बहेड़ा, आंवला, शहद जैसे वन उत्पाद भी यहां से बेचे जाएंगे। गांवों में बने फूलझाड़ू, टेराकोटा, बेलमेटल, बांस उत्पाद, चमड़े के सामान, लौहशिल्प, कोसा सिल्क और लकड़ी के उत्पाद भी यहां बिकेंगे। इसके साथ ही छत्तीसगढ़गी व्यंजनों को एक ही छत के नीचे विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

मार्केटिंग के लिए विशेष रणनीति पर जोर

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों की तरह ग्रामीण उत्पादों की मार्केटिंग की व्यवस्था लघु वनोपज संघ द्वारा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने जिला कलेक्टरों को महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित एवं अन्य सभी पारंपरिक उत्पादकों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, ब्रान्डिग एवं मार्केटिंग की व्यवस्था हेतु प्रबंध संचालक लघु वनोपज संघ से समन्वय करने को कहा है

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