Why Turmeric price is increasing: उत्पादन वृद्धि की तुलना में बाजार मूल्य भी अधिक महत्वपूर्ण हैं इसके लिए किसानों को योजनाबद्ध तरीके से खेती करनी चाहिए.अधिक आय के लिए नकदी फसलों का कोई विकल्प नहीं है.लेकिन कभी-कभी वही नकदी फसलें भी किसानों द्वारा मिट्टी में बो दी जाती हैं. नकदी फसलों में बड़ी मात्रा में गन्ना, कपास, हल्दी और तंबाकू शामिल हैं. इन फसलों का बाजार में वाजिब दाम भी मिल रहा है. हालांकि, दीपावली के चलते हल्दी की मांग बढ़ गई है. नई पेश की गई हल्दी के अच्छे दाम मिल रहे हैं.उत्पादन के साथ-साथ बाजार का अध्ययन भी अब महत्वपूर्ण होता जा रहा है किसानों का वित्तीय पक्ष नकदी फसलों से सक्षम है लेकिन साथ ही साथ उचित योजना की भी आवश्यकता है. अगर दरें सही नहीं हैं तो किसानों के पास कृषि उपज को स्टोर करने की क्षमता होनी चाहिए.
राज्य में हुई बेमौसम बारिश की वजह से हल्दी के फसलो को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पंहुचा. जिसकी वजह से ऐसा कहा जा रहा है राज्य में हल्दी के उत्पादन में भी 15 फीसदी की गिरावट आ सकती हैं.
औद्योगिक प्रसंस्करण क्षेत्र में हल्दी की बढ़ी मांग
त्योहारी सीजन में कई फसलों और सब्जियों के दाम तेजी से बढ़े हैं.इनमें धनिया, टमाटर, प्याज और अन्य मसालों के दाम तेजी से बढ़े हैं.खेती और औद्योगिक प्रसंस्करण क्षेत्रों में मांग बढ़ने से दीवाली में हल्दी की कीमत भी 200 रुपये तक पहुंच गई है.
मांग बढ़ने से हल्दी की कीमतों में उतार-चढ़ाव
राज्य में त्योहारी सीजन में हल्दी की मांग तेज़ी से बढ़ीने लगी हैं मांग बढ़ने से हल्दी की कीमत 4,500 रुपये से बढ़कर 8,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.तो वही तमिलनाडु राज्य में हल्दी की कीमत 6,000 रुपये से बढ़कर 8,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.
बारिश से हुआ था नुकसान
दीपावली त्यौहार के चलते राज्य में कई बाजार समितियां बंद रही हैं लेकीन नांदेड़ और वासमत जिले के बाजार समितियों में हल्दी के दाम 50 रुपये बढ़कर 100 रुपये हो गए थे.सितंबर और अक्टूबर में भारी बारिश ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया.लगातार हो रही बारिश के कारण हल्दी उत्पादक क्षेत्र में जड़ सड़न और कीटों और बीमारियों के कारण हल्दी को नुकसान पहुंचा है.हुई बारिश से इस साल राज्य में हल्दी के उत्पादन में भी 15 फीसदी की गिरावट हो सकती हैं.
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