राजस्थान 08 नवंबर (वेदांत समाचार)। पाली के रहने वाले दिनेश सैन ने रीट लेवल-2 में गणित-विज्ञान विषय में 145 नंबर के साथ प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया, लेकिन उनकी सफलता के पीछे की कहानी काफी संघर्ष पूर्ण रही।
दिनेश की मां चंद्रकांता ने बताया कि वे अपनी ससुराल राजसमंद में रहती थीं। अगस्त 1997 में दिनेश का जन्म हुआ। परिवार में खुशियों का माहौल था, लेकिन इस दौरान पति गोपाल सैन बीमार हो गए। उनका इलाज भी करवाया लेकिन दिसंबर 1997 में उनकी निमोनिया से मौत हो गई। ऐसे में दोनों बेटे दिनेश और पंकज की जिम्मेदारी मां पर आ गई। घर चलाना भी मुश्किल हो गया। ऐसे समय में भाई अमृतलाल और भगवतीलाल ने साथ दिया। चंद्रकांता अपने पीहर पाली में आकर रहने लगी।
दोनों बेटों की परवरिश करनी थी तो मां ने मंदिरों में प्रसाद बनाने से लेकर लोगों के घरों में खाना बनाने का काम शुरू किया। सुबह उठकर घर का काम करने के बाद पैदल ही निकल जाती थी। बच्चे छोटे थे तो उन्हें अपनी भाभी के भरोसे छोड़कर जाती। दिनभर की मेहनत के बाद पूरे माह में 6 से 7 हजार ही कमाई होती थी। बच्चे बड़े हुए तो खर्चे बढ़ गए। ऐसे समय में भाइयों ने मदद की और दोनों बच्चों की पढ़ाई पूरी कराई।
मां की मदद के लिए ट्यूशन पढ़ाया
दिनेश सैन ने बताया कि बचपन से मां को काम करते हुए देखा। उन्होंने एक-एक रुपए जमा कर हमें पढ़ाया। इसलिए 12वीं पास करने के बाद मां की मदद के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। लोगों के घर जाकर होम ट्यूशन देने लगा। जो रुपए आते थे, उससे पढ़ाई जारी रखी और बीएड किया।
लॉकडाउन में भी जारी रखी पढ़ाई
दिनेश सैन ने बताया कि पिछले दो सालों से रीट परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी। रोजाना करीब 8 से 10 घंटे पढ़ाई की। भगवान स्वामीनारायण, महंत स्वामी महाराज, टीचर महेन्द्र सिंह और पूनम अग्रवाल ने मदद की।
मां के संघर्ष और मामा अमृतलाल और भगवतीलाल का परिवार हर मुसीबत के समय उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। उसी का नतीजा है कि आज वे इस मुकाम पर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि बांगड़ स्कूल से 10वीं और 12वीं में 73 फीसदी अंक हासिल किए। वहीं बांगड़ कॉलेज से बीएससी में 70 फीसदी अंक प्राप्त किए।
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