दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी! नौकरीशुदा पत्नी को ‘कमाऊ गाय’ की तरह इस्तेमाल नही कर सकते

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए साफ तौर पर कहा कि किसी भी व्यक्ति को नौकरीशुदा पत्नी को बिना किसी भावनात्मक संबंधों के एक कमाऊ गाय (Cash Cow)) के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

इस दौरान कोर्ट ने महिला की अपील को स्वीकार करते हुए पति के व्यवहार को क्रूरता मानते हुए उनके बीच तलाक (Divorce) की मंजूरी प्रदान कर दी है.

दरअसल, जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ के सामने महिला ने फैमिली कोर्ट (Family Court) के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें फैमिली कोर्ट ने इसे क्रूरता या परित्याग का कारण मानने से इनकार करते हुए तलाक मंजूर नहीं किया था. इस जोड़े के बीच साल 2000 में विवाह संपन्न हुआ था, जब पत्नी नाबालिग थी और 13 साल की थी. वहीं पति की आयु 19 साल थी.

पत्नी की नौकरी के बाद पति घर ले जाने को हो गया तैयार

बता दें कि साल 2005 में वयस्क होने के बाद भी पत्नी नवंबर 2014 तक अपने पैतृक घर में रही. उस दौरान उसने पढ़ाई पूरी की और अपनी योग्यता के आधार पर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में नौकरी पाने में सफल रही. इस दौरान महिला ने तर्क रखा कि उसके परिवार ने उसके पति को उसे ससुराल ले जाने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन वह उसे ससुराल नहीं ले गया.

वहीं, याची ने कहा कि साल 2014 में जब उसे दिल्ली पुलिस में नौकरी मिली तो उसके तुरंत बाद उसका पति उसे ससुराल ले जाने के लिए तैयार हो गया. इसका मुख्य कारण उसे नौकरी से होने वाली स्थायी रूप से एकमुश्त आने वाली सैलरी थी.

पति ने पत्नी को कमाई के जरिए के रूप में देखा- हाई कोर्ट

इस मामले में कोर्ट ने महिला के तर्क को स्वीकार करते हुए कहा ऐसा प्रतीत होता है कि पति ने अपीलकर्ता को एक कमाऊ गाय के जरिए के रूप में देखा है और दिल्ली पुलिस में नौकरी मिलने के बाद ही उसे ससुराल ले जाने को तैयार हो गया.

कोर्ट ने कहा पति के इस तरह के बेशर्मी भरे भौतिकवादी रवैये और बिना भावनात्मक संबंधों से अपीलकर्ता को अपने आप में मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा होगा. इस तरह का आघात उसके साथ क्रूरता तय करने के लिए पर्याप्त है.

पति के खिलाफ बनता है मानसिक क्रूरता के केस

वहीं, कोर्ट ने बताया कि पति के पास इस बात का कोई साफ तौर पर स्पष्टीकरण नहीं है कि साल 2005 में वयस्क होने के तुरंत बाद वह पत्नी को वैवाहिक घर में क्यों नहीं ले गया और उसे साल 2014 तक अपने माता-पिता के साथ क्यों रहना पड़ा? ऐसे में पति के खिलाफ स्थापित मानसिक क्रूरता के अपराध का एक केस बनता है.