इस बार भैयादूज पर बहन-भाइयों को टीका कराने के लिए पर्याप्त समय और मुहूर्त मिलेंगे। डेढ़ घंटे को छोड़कर शनिवार को शाम तक टीका कराने का समय ही समय मिलेगा। दिवाली शृंखला का पांचवां पर्व भैया दूज शनिवार को है। यम और यमुना के प्यार से जुड़े इस पर्व के बारे में मान्यता है कि इस दिन भाई बहनों के घर टीका कराने जाते हैं। ज्योतिर्विद विभोर इंदुसुत के अनुसार राहुकाल की वजह से सुबह नौ बजे से साढ़े दस बजे तक का समय टीका करने के लिए वर्जित है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना के आग्रह करने पर एक बार यमराज कार्तिक शुक्ल द्वितीया को अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे और यमुना ने यमदेव को तिलक कर उनसे ये वचन लिया था कि आज के दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक करके उसके मंगल की कामना करेगी, यमराज उसके भाई को अल्पायु, रोग शोक आदि नहीं होने देंगे। और तभी से भाई दूज के पर्व की परंपरा चली आ रही है।
भैयादूज का मूहूर्त:
6 नवंबर शनिवार सुबह 8 बजे से 9 के बीच शुभ चौघड़िया मुहूर्त में भाई को टीका करने का अच्छा समय होगा। दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच चर लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे। 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच भाई को टीका करने का शुभ मुहूर्त होगा।
इस दौरान न करें टीका:
शनिवार को सुबह 9 से 10:30 बजे के बीच राहुकाल रहेगा, इसलिए इस समय में भाई को टीका न करें। राहुकाल के दौरान टीका नहीं किया जाता।
भाईदूज पर टीका करने का शुभ समय
सुबह 8 से 9 बजे के बीच
दोपहर 12 से 4 बजे के बीच
भैया दूज और यमुना स्नान:
यम और यमुना परस्पर भाई-बहन हैं। यमुना को शिकायत रहती थी कि यम कभी उनके घर नहीं आते। एक दिन अचानक यम अपनी बहन से मिलने पहुंचे। यमुना ने अपने भाई यम का टीका किया और स्मृति स्वरूप श्रीफल ( गोला या नारियल) भेंट किया। यमुना ने कहा कि यह श्रीफल आपको अपनी बहन की याद दिलाता रहेगा। तभी से भैयादूज पर बहनें टीका करने के बाद भाइयों को गोला भेंट करती हैं। इस पर्व पर भाई अपनी विवाहित बहन के यहां जाते हैं। इस दिन बहन-भाई के यमुना में स्नान करने की भी परंपरा है।
चित्रगुप्त पूजा
कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा का भी विधान है। चित्रगुप्त को महालेखाकार भी माना जाता है। इस दिन खाता बहियों की भी पूजा की जाती है। खाताबहियों के पूजन का समय दोपहर 1.15 से शाम 03.25 बजे तक है।
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