क्या है महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुर्हूत, जानिए

रायपुर 3 नवम्बर ( वेदांत समाचार ) । देशभर में मंगलवार को ‘धनतेरस’ के साथ ही दिवाली की धूम शुरू हो गई है। दिवाली पर्व महालक्ष्मी पूजन का विशेष अवसर होता है, लोग धन—धान्य और समृद्धि की कामना लिए इस महापर्व को विशेष तरह से हर साल मनाते हैं। इस बार भी उत्साह का माहौल नजर आने लगा है। बीते दो सालों से देश के सबसे बड़े पर्व पर कोरोना की वजह से ग्रहण लग गया था।

मंगलवार को धनतेरस के साथ शुरू हुए दिवाली पर्व का आज दूसरा दिन है, जिसे रूप चौदस कहा जाता है। भविष्य पुराण और पद्म पुराण में लिखा है कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूरज उगने से पहले अभ्यंग यानी तेल मालिश कर के औषधि स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और इससे सेहत अच्छी रहती है। साथ ही उम्र भी बढ़ती हैं और नरक के भय से भी मुक्ति मिल जाती है। वहीं, शाम को धर्मराज यम की पूजा और दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती।

इन शुभ मुर्हूत में करें महालक्ष्मी पूजन

वहीं कल यानी गुरुवार को महालक्ष्मी पूजा और दीपावली पर्व मनाया जाएगा। भागवत और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। वहीं, वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा है। स्कंद और पद्म पुराण का कहना है कि इस दिन दीप दान करना चाहिए, इससे पाप खत्म हो जाते हैं। महालक्ष्मी पूजन के लिए दोपहर 2.50 से रात 12.31 बजे तक शुभ मुर्हूत बताए गए हैं। घर में पूजन के लिए 5.34 से रात 8.10 बजे तक का समय सर्वाधिक शुभ बताया गया है।

दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा।