डेस्क। नरक चतुर्दशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इसे रूप चतुर्दशी, नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान से हरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। तथा शाम के समय यमराज की पूजा करने से नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। वहीं इस दिन मां काली की पूजा का भी विधान है। कहा जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी का पावन पर्व धनतेरस के अगले दिन यानि छोटी दीपावली को मनाया जाता है। इस बार नरक चतुर्दशी 3 नवंबर 2021, बुधवार को है। ऐसे में आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में संपूर्ण जानकारी।
नरक चतुर्दशी 2021 का शुभ मुहूर्त
नरक चतुर्दशी 3 नवंबर 2021 बुधवार को 09 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी और 4 नवंबर 2021, गुरुवार को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से 02 बजकर 17 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। पूजा पाठ के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है।
काली चौदस 2021 की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन 6 देवी देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और वामन की पूजा का विधान है। ऐसे में घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करें। सभी देवी देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें। बता दें इस दिन यमदेव की पूजा अर्चना करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों का नाश होता है। तथा घर में सकारात्मकता का वास होता है। ऐसे में शाम के समय यमदेव की पूजा करें और चौखट के दोनों ओर दीप जलाकर रखें।
नरक चतुर्दशी का महत्व
नरक चौदस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदस को मनाया जाता है। इसे नरक मुक्ति का त्योहार भी माना जाता है। इस दिन यमराज की पूजा अर्चना करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और सभी पापों का नाश होता है। नरक चौदस के दिन तिल के तेल से मालिश करने से त्वचा पर निखार आता है।
नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी ना करें ये काम
ऐसे कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी अपने घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए। अगर किसी जरुरी काम से आपको बाहर जाना ही पड़े तो कोशिश करें घर में आपके अलावा कोई न कोई अवश्य मौजूद रहे।