शहर से महज 15 किलोमीटर दूर शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला पड़निया के बच्चे अभावों के बीच कर रहे विद्यार्जन ,दफ्तर में बैठ मॉनिटरिंग कर रहे डीईओ
कोरबा ,27 अक्टूबर ( वेदांत समाचार )। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पडनिया के 259 बच्चों व दर्जनों शिक्षकों की जिंदगी महफूज नहीं है। कब विद्यालय में अप्रिय घटना घट जाए कहा नहीं जा सकता। गुणवत्ताहीन जर्जर भवन में बच्चों की कक्षाएं लग रही है। बीईओ को 34 बार एवं डीईओ को 5 बार मरम्मत के लिए मांग पत्र भेजे जाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा सुध नहीं लिए जाने से यह हालात निर्मित हुए हैं। शिक्षकों सहित बच्चों ने कलेक्टर से पहल की गुहार लगाई है।
जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कटघोरा विकासखण्ड के प्रयत्क्ष खनन प्रभावित क्षेत्र पड़निया आज जिले के स्कूलों में बेहतर अधोसंरचना के दावे की पोल खोलने में काफी है। सन 2012 में यहाँ शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला का भवन तैयार हुआ था। भवन बनने से गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल के संचालन से ग्रामीणों में यह आश बंधी थी कि अब उनके बच्चों को अपने गांव में ही व्यवस्थित भवन में शिक्षा मिलेगी। वे अपने बेहतर भविष्य की बुनियाद गढ़ सकेंगे। लेकिन क्या पता था। तकरीबन 50 लाख की लागत से बने शासकीय स्कूल भवन में इस कदर गुणवत्ता की अनदेखी की गई कि एक दो साल में ही भवन के अंदर एवं बाहर से भ्रष्टाचार की तस्वीर नजर आने लगी। दीवारों में दरार ,खिंडकी दरवाजे बेंच टूटने लगे। सरिया झांकने लगी। नतीजन प्राचार्य ने स्कूल भवन की मरम्मत के लिए उच्च अधिकारियों को मांग पत्र भेजा। लेकिन अधिकारी मांग पत्र की अनदेखी करते रहे। इस बीच पिछले 9 सालों में प्राचार्य 34 मांग पत्र बीईओ कटघोरा तो 5 मांग पत्र डीईओ कोरबा को लिख चुके हैं बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों की अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं हुआ। जबकि जिले में लघु मरम्मत मद सहित सीएसआर ,खनिज न्यास में भी करोड़ों का शिक्षा सेक्टर के लिए रखा गया है। कलेक्टर रह बैठकों में ऐसे जर्जर स्कूल भवनों की जानकारी मांग रही हैं। लेकिन जिला व ब्लाक मुख्यालय में बैठे अधिकारी कोपभाजन से बचने सब कुछ ठीकठाक होने की बात कह झूठी वाहवाही लूट रहे हैं। बहरहाल बच्चों एवं शिक्षकों ने कलेक्टर रानु साहू ने शीघ्र पहल की गुहार लगाई है।
दफ्तर में बैठे डीईओ के भरोसे कैसे होगी नईया पार
भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार कर जिले में अपनी खूब फजीहत कराकर मुंगेली स्थान्तरित हुए डीईओ सतीश पाण्डेय के जाने के बाद नए डीईओ जी आर भारद्वाज की पदस्थापना से यह आश बंधी थी कि वो जिले की छवि सुधारकर वो जिले की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ बनाएंगे। निसंदेह डीईओ श्री भारद्वाज के कार्यकाल में उन पर ऐसे कोई बड़े भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं लेकिन जिले की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ बनाने उनमें वो जज्बा और ऊर्जा और नेतृत्व क्षमता नजर नहीं आ रही। डीईओ श्री भारद्वाज ने अब तक सभी ब्लाकों के विशेष आवश्यकता वाले स्कूलों का निरीक्षण तक नहीं किया है । लिहाजा उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं है कि जमीनी स्तर पर स्कूलों को किन चीजों की आवश्यकता है । किस तरह की समस्याओं से स्कूल व बच्चे जूझ रहे हैं।सूत्रों की मानें तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को डीएमएसी एस के अमबष्ट चला रहे हैं। जो खुद अपने दफ्तर में दो घण्टे बैठ गए तो बहुत है। डीईओ के साथ दिनभर डीएमसी को उनके पीए की तरह रहते हुए देखा जा सकता है। डीईओ के हर एक फैसले में डीएमसी की बड़ी भूमिका रहती है। हाल ही में खनिज संस्थान न्यास के जिन कार्यों के गड़बड़ी की जांच चल रही थी। प्रशासन ने उसमें भुगतान के भी आदेश दे दिए हैं। लिहाजा वे ठेकेदारों से ही घिरे रहे । निश्चित तौर पर डीईओ श्री भारद्वाज को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना होगा ताकि उन पर डमी डीईओ का टैग न लगे
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