कोरबा। विभिन्ना मुद्दों को लेकर हड़ताल करते वक्त आउटसोर्सिंग मजदूरों का समर्थन लेने वाले श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में कोयला खदान में कार्यरत नियमित कर्मियों का बोनस निर्धारित कर लिया, पर आउटसोर्सिंग मजदूरों को भूल गए। अब कहा जा रहा कि 21 हजार से उपर वेतन वालों को बोनस नहीं दिया जा सकता। मजदूरों को कहना है कि नियमित कर्मियों की तरह उन्हें भी अनुग्रह राशि दिया जा सकता है, पर श्रमिक नेताओं ने उपेक्षा की।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) समेत कोल इंडिया का अन्य संबंधित कार्यरत नियमित कर्मियों को दुर्गा पूजा के पहले 72500 रुपये बोनस प्रदान किया गया। बोनस के दायरे से बाहर होने की वजह से इन कर्मियों को परफारमेंस लिंक एवार्ड स्कीम के नाम से इतनी राशि दी गई। पिछले वर्ष तक स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में आउटसोर्सिंग व ठेका मजदूरों के बोनस पर भी निर्णय लिया जाता था, पर इस बार बैठक में इस मामले में चर्चा ही नहीं की गई। श्रमिक नेताओं ने इन मजदूरों के लिए बोनस या लाभांस देने पर भी प्रबंधन के समक्ष मुद्दा नहीं उठाया, इससे आउटसोर्सिंग मजदूरों का बोनस लटक गया।
अब इन मजदूरों ने बोनस का मुद्दा उठाया, तो श्रमिक संघ प्रतिनिधियों के होश उड़ गए हैं। श्रमिक नेता व प्रबंधन का कहना है कि बोनस एक्ट में 21 हजार से अधिक वेतन पाने कर्मियों को बोनस देने का प्रावधान नही है। इस पर मजदूरों का कहना है कि जब उन्हें अधिकार नही है तो नियमित कामगारों का वेतन उनसे अधिक है और उन्हें परफारमेंस लिंक एवार्ड स्कीम के नाम से राशि दी जा रही है। इसी तरह आउटसोर्सिंग व ठेका पद्धति से कार्यरत मजदूरों को भी राशि दिलाई जाए। मजदूरों की मांग से श्रमिक संघ प्रतिनिधियों के भी होश उड़ गए हैं और अब उन्हें भय सता रहा है कि भविष्य में किसी मुद्दे को लेकर खदान में आंदोलन करते हैं तो उन्हें इन मजदूरों का समर्थन नहीं मिलेगा।
पिछले दो वर्ष से नहीं मिली राशि
कोयला खदान में कार्यरत आउटसोर्सिंग मजदूरों को पिछले दो वर्ष से बोनस नहीं मिला। हालांकि बैठक में बोनस मसले पर चर्चा भी की गई थी और राशि दिलाने पर भी सहमति बनी थी। लेकिन किसी भी कंपनी ने राशि प्रदान नहीं की थी। मजदूरों ने आंदोलन भी किया था, पर बाद में कोई नतीजा नहीं निकला।
930 रुपये प्रतिदिन की दर से बनता है वेतन
आउटसोर्सिंग मजदूरों का वेतन प्रतिदिन 930 रुपये की दर से बनता है। इस तरह 26 दिन का वेतन 24180 रुपये होता है। इसमें पीएफ व इएसआइसी राशि की कटौती कर शेष राशि प्रदान की जाती है। इस तरह 21 हजार से अधिक वेतन बनने की वजह से बोनस नहीं मिल पाता। वहीं सिविल विभाग में कार्यरत ठेकेदार भी मजदूरों की संख्या 20 से कम बताते हैं और नियम के मुताबिक उन्हें भी बोनस का प्रावधान नहीं रहता है।
25 हजार से ज्यादा मजदूर कार्यरत
एसईसीएल की खदानों में आउटसोर्सिंग व ठेका पद्धति के माध्यम से 25 हजार से भी ज्यादा मजदूर कार्यरत हैं। कोयला उत्पादन में इन्हीं मजदूरों का योगदान वर्तमान में काफी महत्वपूर्ण है। आश्चर्य की बात है कि श्रमिक संघ प्रतिनिधि इन मजदूरों की समस्याओं को लेकर प्रबंधन के समक्ष आवाज बुलंद नहीं कर रहे हैं, केवल आंदोलन के दौरान ही आउटसोर्सिंग मजदूरों की सुध ले रहे हैं।
क्या कहते हैं श्रमिक संघ प्रतिनिधि
ज्वाइंट कमेटी की बैठक में वेतन वृद्धि की गई थी। उसके बाद बोनस दायरे के बाहर हो गए, पर जो बोनस एक्ट के अंतर्गत हैं, उन्हें 8.33 फीसद बोनस दिया जाना चाहिए। शेष बचे लोगों के लिए बैठक कर नियम बनाना होगा और उन्हें बोनस किस तरह मिले, इसे निर्धारण करना होगा। प्रबंधन के समक्ष यह प्रस्ताव प्रमुखता से रखा जाएगा। कोशिश रहेगी कि इन मजदूरों को भी त्यौहार के अवसर पर कुछ राशि दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
सुरेंद्र पांडेय, जेबीसीसीआई सदस्य बीएमएस
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आउटसोर्सिंग मजदूरों को भी त्यौहार के अवसर पर प्राफिट के आधार पर कुछ राशि प्रदान किया जाना चाहिए, पर उन्हें न तो बोनस मिल रहा है और नहीं कोई अन्य राशि मिल रही है। यह उनके साथ ज्यादती, विश्वासघात व अन्याय है। ठेकेदारों को अपने प्राफिट का कुछ हिस्सा नियमतः क्यों नहीं दे रहे हैं। इस पर प्रबंधन चर्चा कर भुगतान कराए। इससे कोयला मजदूरों के तरह उन मजदूरों को भी कुछ राशि मिल सकेगी।
हरिद्वार सिंह, महासचिव एटक
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21 हजार से अधिक वेतन का नियम बता कर आउटसोर्सिंग व ठेका मजदूरों को बोनस से वंचित करना गलत है। लाभांश के तौर पर कुछ राशि इन मजदूरों को भुगतान किया जाना चाहिए। श्रमिक संघ प्रतिनिधियों को यह मामला जेबीसीसीआई या स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में प्रमुखता से उठाते हुए मजदूरों के संबंध में निर्णय लिया जाना चाहिए।
गोपाल नारायण सिंह, केंद्रीय अध्यक्ष एसईकेएमसी
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