लाखाें खर्च कर लगाए झूले हो गए बर्बाद हर तरफ गंदगी व घास से नहीं आते लोग

जिले में काेराेना संक्रमण का असर अब धीमा पड़ने के साथ ही सभी तरह की गतिविधियां शुरू हाेने लगी हैं। स्कूल खुलने के साथ ही बच्चाें की चहल-पहल बढ़ गई है। उद्यान और मैदान दाेनाें जगह बच्चे नजर आने लगे हैं। खासकर शहर के उद्यानाें में शाम हाेते ही बच्चाें की भीड़ लगने लगी है।

मगर ज्यादातर पार्काें में बच्चाें के खेलने के लिए लगाए गए झूले काेराेना काल में मरम्मत के अभाव में टूट चुके हैं। कई जगह फिसल-पट्टी भी खराब हाे चुकी है। शहरी क्षेत्र में लाखाें रुपए खर्च कर लगाए गए इन उपकरणाें की मरम्मत की जिम्मेदारी नगर निगम की है। बच्चाें का उत्साह अमूमन झूले और फिसल-पट्टी काे लेकर रहता है। उद्यानाें समेत अन्य जगहाें पर न ताे झूले सलामत हैं और न ही फिसल पट्टी उनके खेलने लायक बची है।

उद्यानों से: झूले हाे गए चोरी मैदान में ऊंचे-ऊंचे गाजर घास
शहर के चारपारा काेहड़िया में पूर्व केबिनेट मंत्री लखनलाल देवांगन निवासरत है। यहां सामुदायिक भवन परिसर में बच्चाें के खेलने के लिए नगर निगम ने 3 झुले लगवाए थे, लेकिन मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया। एक-एक करके तीनाें झूले टूट गए। अब मात्र ढांचा ही बचा है। झुले पार हाे गए। वहीं परिसर में ऊंचे-ऊंचे गाजर घास उग आए हैं। बच्चे इस मैदान से दूर गलियाें में खेलने काे मजबूर हैं।

कुछ ही महीने के भीतर टूटा झूला, अब तक मरम्मत नहीं
संजय नगर रेलवे फाटक के समीप नहर किनारे नगर निगम ने काेराेना काल के दाैरान साैंदर्यीकरण करते हुए उद्यान बनाए, जिसमें ओपन जिम के उपकरण व बच्चाें के खेलने के लिए झूले लगाए। उद्यान खुलते ही प्रतिदिन शाम काे बच्चाें की भीड़ लगने लगी थी। कुछ महीने के भीतर ही एक झुला टूटा गया। जिसके बाद एक ही झूला बचा है।

उद्यान में फिसल-पट्टी-झूले में नहीं दिखते बच्चे
घंटाघर स्थित स्मृति वन में सुबह शाम दाेनाें समय बच्चाें की राैनक रहती थी, लेकिन यहां भी बच्चाें झूलों की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया। इससे धीरे-धीरेे झूले खराब हाेते जा रहे हैं। उद्यान में सबसे खास बच्चाें का फिसल-पट्टी थी, लेकिन असामाजिक तत्वाें के ताेड़फाेड़ किए जाने के बाद अब तक उसमें सुधार नहीं हुआ।

ओपन जिम के उपकरण संग झूले हाे रहे खराब
नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़ाें व बच्चाें की बेहतरी के लिए स्वास्थ्य केंद्राें समेत अन्य जगह पर ओपन जिम बनाए जा रहे हैं। इसमें व्यायाम के लिए उपकरण के साथ झूले भी लगाए जा रहे हैं। मगर मरम्मत के अभाव में उपकरण खराब हाेते जा रहे हैं। वहीं कबाड़ चाेराें की नजर भी इन उपकरणाें पर बनी हुई है। शहर के उद्यानाें में ही लगाए गए ओपन जिम के कई उपकरण खराब हाे चुके हैं। उन्हें भी सुधारा नहीं जा रहा है।

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