कोयला मंत्री के छतीसगढ़ स्थिति कोयला मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा, गेवरा व दीपका दौरे के बाद क्या देश के पावर प्लांटों में कोयला संकट दूर होगा.. संकट पर सियासत तेज

देश में कोयला संकट और बिजली कटौती को लेकर सियासत तेज हो गई हैं. राज्य सरकारें कोयला संकट को लेकर जहां केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं, तो वही केन्द्र का मानना हैं यह संकट राज्यों की ओर से खड़ा हुआ है सचेत करने के बाद भी इन्होंने बिजली घरों के लिए कोयले का भंडारण नहीं किया,बकाया होने के बावजूद भी कोयले की आपूर्ति जारी रखे हुए हैं हम उनसे (राज्यो से) स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध कर रहे है. बता दे कि एक तरफ यह कहा जा रहा हैं कि कोयले की कोई कमी नही हैं तो दूसरी तरफ कोयले की कमी के कारण पंजाब, महाराष्ट्र, केरल जहां गैर भाजपा सरकार हैं वहां के कई पावर युनिट्स बंद पड़े हैं.

केन्द्र सरकार के दावों और राज्य सरकार की चिंता के बीच हालात बेहतर नजर नहीं आ रहे हैं. जिस राज्य में गैर भाजपा की सरकार हैं यदि वह आरोप लगा रही हो तो यह कह सकते हैं कि इसमें राजनीति की जा रही हैं किन्तु उतरप्रदेश जहां भाजपा की सरकार हैं वहां भी कोयले की कमी की वजह से आठ पावर प्लांट बंद कर दिए गए हैं तो इसे क्या कहा जायेगा. यूपी की तरह ही बिहार में भी कोयले का संकट साफ दिखलाई दे रहा हैं लेकिन कोई इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं बेगूसराय में मौजूदा बरौनी थर्मल पावर प्लांट जहां बिजली उत्पादन में कमी के चलते 12 से 14 धंटे की सप्लाई हो रही हैं. इतने बड़े संकट के बीच अब सवाल यह उठ रहा हैं कि क्या केन्द्र सरकार कोयला संकट की हकीकत पर दावे की चादर डालने में लगी हुई हैं.


यदि देश मे कोयला संकट जैसी कोई बात ही नहीं थी तो केन्दीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को संकट के इस दौर में कोयला खदानों की राख छानने क्यो आना पड़ता.उन्हें माईन्स निरक्षण करने और कोल अफसरों को कोयला उत्पादन बढ़ाने की हिदायत देने की आवश्यकता क्यों पड़ी.


बता दे कि कोल इंडिया की आठ अनुवांशिक कम्पनियों में छतीसगढ़ राज्य में संचालित एसईसीएल का कोयला उत्पादन में अच्छा प्रदर्शन रहा हैं और कोयला संकट के इस गंभीर दौर में सबकी निगाहें छतीसगढ़ पर टिक गई हैं. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी का यही वजह हैं कि प्रथम दौरा एसईसीएल की ही कोयला प्रोजेक्ट में ही हुआ यहां पहुँच कर अधिकारियों को तेजी से अधिकाधिक कोयला उत्पादन और आपूर्ति करने निर्देश दिया, यहां यह बात उल्लेखनीय हैं कि कोरबा जिले की एसईसीएल गेवरा, दीपका और कुसमुंडा मेगा प्रोजेक्ट के अवलोकन और अधिकारियों के साथ बैठक करने में केंद्रीय कोयला मंत्री को करीब आठ से दस धंटे लगे इस बीच वे कोयला खदानों में भी गये वहां कोयला उत्खनन की प्रकिया का भी अवलोकन किया यहां के महाप्रबन्धको का भी उत्साह वर्धन करने में कोई कमी नहीं की. इस अवसर पर एसईसीएल के सीएमडी ए पी पंड्या भी उनके साथ साथ रहे.इसके बाद केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया,

कि देश में गहराए बिजली संकट को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से तत्काल प्रभाव से कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत जहां कोयला उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए ग ए हैं वहीं राज्यों से कहा गया है कि वो अपने हिस्से का कोयला भी उठा लें। सरकार ने कहा है कि कुछ ही दिनों में ये संकट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। सरकार पहले ही ये साफ कर चुकी है कि देश में कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद है।देश में 75 फीसद बिजली का उत्पादन कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से होता है। बताया तो यह जा रहा हैं कि पिछले कुछ दिनों से कोयले की कमी का जो संकट देश के कुछ राज्यों में दिखाई दिया है उसकी कुछ बड़ी वजह रही हैं। इनमें मुख्य रूप से कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों में जबरदस्त बारिश का होना, बाढ़ का आना, कोयले की ढुलाई में आई रुकावट रही है। इसके अलावा ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ये भी मानते हैं कि देश में कोयला खनन की तकनीक पुरानी हो चुकी है। इन सभी समस्याओं के अलावा जिस समस्या का जिक्र सरकार ने किया है उसमें राज्यों द्वारा कोल इंडिया की बकाया राशि का भुगतान न किया जाना भी ह वहीं छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार पर कोयला संकट और प्रभावित हो रहे बिजली उत्पादन को लेकर निशाना साधते हुये कहा हैं


कि भारत सरकार पहले कह रही थी कि कोई कोयला का संकट नहीं हैं अगर कोयले की कमी नहीं हैं तो कोयला मंत्री छतीसगढ़ क्यो आये.भारत सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि कोयले और बिजली की कमी हैं.सबसे उल्लेखनीय बात यह हैं कि कोयला संकट का हो हल्ला मचने के बाद केन्द्र सरकार मुस्तेद हो गई हैं.एक तरफ केन्द्र सरकार जहां कोयला आपूर्ति बढ़ाने में जुटी हुई हैं वहीं दूसरी ओर अब सरकार इस हालात की लगातार समीक्षा कर रही हैं.जहां गृहमंत्री अमित शाह ने कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और उर्जा मंत्री आर के सिंह के अलावा कोल इंडिया और एनटीपीसी के अफसरों के साथ बैठक की.इसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जल्द ही एक समीक्षा बैठक कर सकते हैं. पीएम मोदी की इस समीक्षा बैठक में शामिल होने से यह बात साफ हो जाती हैं यह मामला कितना गंभीर हैं.